RBI ने दी आम आदमी को बड़ी राहत, 50 बेसिस प्वाइंट घटाया रेपो रेट

- मुंबई
लोन लेना अब होगा आसान – सस्ती होंगी किस्त ( EMI) : शंकर ठक्कर
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए रेपो रेट को 6 प्रतिशत से घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है। यह 50 आधार अंकों की बड़ी कटौती देश की अर्थव्यवस्था को गति देने की मंशा से की गई है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने नीतिगत रुख को ‘अकोमोडेटिव’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि अब RBI मुद्रास्फीति और विकास दोनों पर समान रूप से नजर रखेगा।
RBI ने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में भी 100 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की है, जो चार समान किस्तों (6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर) में लागू होगी। इस कदम से बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त लिक्विडिटी आने की उम्मीद है, जिससे क्रेडिट फ्लो में तेजी आएगी।
गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि देश में व्यापक स्तर पर कीमतों में नरमी देखी गई है. वर्तमान मुद्रास्फीति दर घटकर 3.2 प्रतिशत पर आ गई है। साथ ही RBI ने अपने पूर्वानुमान को 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और खाद्य आपूर्ति बेहतर रहने से मुद्रास्फीति के दबाव में और राहत की उम्मीद जताई गई है।
RBI ने वित्त वर्ष 2026 के लिए जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। तिमाही दरें इस प्रकार अनुमानित हैं—Q1 में 6.5%, Q2 में 6.7%, Q3 में 6.6% और Q4 में 6.3%. गवर्नर ने यह भी कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर अब भी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। देश की कॉरपोरेट, बैंक और सरकारी बैलेंस शीट सुदृढ़ बनी हुई हैं, और बाह्य क्षेत्र स्थिर है। इन सब कारणों से भारत घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बना हुआ है।
गवर्नर ने रबी फसलों को लेकर अनिश्चितताओं के समाप्त होने का संकेत दिया। रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन और दालों की बेहतर पैदावार से खाद्य मुद्रास्फीति में और गिरावट की संभावना है। खरीफ सीजन की आवक भी मजबूत रहने की उम्मीद है। गवर्नर मल्होत्रा ने भारत की जनसांख्यिकी, बढ़ती डिजिटल पहुंच और मजबूत घरेलू मांग को देश की आर्थिक वृद्धि की प्रमुख आधारशिला बताया। उन्होंने कहा कि ये सभी कारक भारत को निवेशकों के लिए एक विशाल संभावनाओं वाला बाज़ार बनाते हैं।
शंकर ठक्कर ने आगे कहा नीतिगत दरों में कटौती से बैंक ऋण पर ब्याज दरों में कमी आती है। इससे आम उपभोक्ताओं और व्यापार जगत के लिए उधारी सस्ती होती है। इससे खपत और निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना बढ़ जाती है। चीज वस्तुओं के जिन में खासकर खाने की वस्तुओं के दाम नीचे आने की संभावना बनती है। लोन के दर कम होने से भवन निर्माण में डिमांड बढ़ती है जिससे इसमें लगने वाली सारी वस्तुओं की आवश्यकता बढ़ती है जिससे कई प्रकार की इंडस्ट्री को फायदा मिलता है। हालांकि इसका असल लाभ इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक कितनी जल्दी और प्रभावी रूप से यह कटौती ग्राहकों तक पहुंचाते हैं।