अबू धाबी – कुछ दिन पूर्व ही भारत में अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण हुआ एवं रामलला की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा का भव्य समारोह अखिल विश्व ने अनुभव किया। अब यु.ए.ई. जैसे इस्लामिक देश में भी बी.ए.पी.एस. हिन्दू मंदिर का निर्माण हुआ है। यह एक प्रकार से वैश्विक हिन्दू राष्ट्र के निर्माण का शंखनाद हैै, ऐसा प्रतिपादन श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी ने किया। अबू धाबी के मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम के पश्चात वे ऐसा बोल रही थीं।
इस समय श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने कहा, ‘पिछले कुछ शतकों में भारत के हिन्दू मंदिरों पर आक्रमण हुए, मंदिर नष्ट–भ्रष्ट किए गए; अब भारत की वह सभी वास्तू पुनः एकबार कानूनन मार्ग से संघर्ष कर हिन्दू समाज को प्राप्त हो रही हैं। उन स्थानों पर मंदिरों का निर्माण हो रहा है। इतना ही नहीं, अपितु अब इस्लामी देशों में हिन्दू मंदिरों की निर्मिति होने लगी है। हिन्दू धर्म की महानता काल के अनुसार पूरे विश्व में फैल रही है। यह कालचक्र है, उसे कोई रोक नहीं सकता। भारत विश्वगुरुपद की ओर अग्रसर हो रहा है। इसी का यह द्योतक है।
पश्चिम एशिया का सबसे बडा हिन्दू मंदिर ‘बी.ए.पी.एस. हिन्दू मंदिर’ का उद्घाटन 14 फरवरी को भारत के प्रधानमंत्री मा. नरेंद्र मोदीजी के करकमलों से हुआ। इस उपलक्ष्य में मंदिर द्वारा 15 फरवरी को आयोजित ‘हार्मनी’ कार्यक्रम में सनातन संस्था की ओर से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की वंदनीय उपस्थिति का लाभ हुआ। मंदिर के पदाधिकारी श्री. रवींद्र कदम ने अक्टूबर 2023 में मंदिर की ओर से उद्घाटन समारोह का निमंत्रण भेजा था। मंदिर के प्रमुख महंत स्वामी महाराज की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में हरिद्वार के आखाडा के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंदजी ‘प्रमुख अतिथि’ के रूप में उपस्थित थे। स्वामी ब्रह्मविहारीदास महाराजजी ने स्वागतपर भाषण दिया।
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सनातन संस्था के ३ गुरुओं के नाम पर मंदिर के निर्माणकार्य के लिए 3 ईंटें अर्पण !
जुलाई 2022 में श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी अनुसंधान के निमित्त संयुक्त अरब अमिरात की यात्रा पर थीं। उस समय वह ‘बी.ए.पी.एस. हिन्दू मंदिर’ भी गईं थी एवं निर्माणकार्य का ब्योरा लिया था, साथ ही सनातन संस्था के 3 गुरुओं के नाम पर (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले, श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के नाम पर) मंदिर के निर्माणकार्य के लिए ३ ईंटें पूजन कर अर्पण की थीं।
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