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ऊँट संरक्षण केन्द्र के भ्रमण से विद्यार्थियों ने सीखी ऊँटों की सुरक्षा की बारीकियाँ

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सादड़ी। The Wellington English Academy, Sadri द्वारा आयोजित SUPW Camp के पहले दिन विद्यार्थियों को एक रोचक और शैक्षणिक अनुभव के तहत राजपुरा स्थित ऊँट संरक्षण केन्द्र का भ्रमण करवाया गया।

The Wellington English Academy, Sadri  संस्थान संचालक निकिता रावल ने बताया कि यह भ्रमण विद्यार्थियों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा बल्कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण और पशु कल्याण के महत्व को समझने का भी अवसर मिला।

भ्रमण की शुरुआत में केन्द्र के स्टाफ ने विद्यार्थियों का स्वागत किया और उन्हें ऊँटनी का दूध पिलाया। इसके बाद विद्यार्थियों को ऊँटों के बारे में प्रारंभिक जानकारी दी गई—उनकी नस्लें, खानपान, स्वभाव और उपयोग से जुड़ी बातें बताई गईं।

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इसके पश्चात् केन्द्र के ऊँट संरक्षण केन्द्र संचालक हनवंत सिंह राठौड़ के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों ने पूरे केन्द्र का निरीक्षण किया। राठौड़ ने विस्तारपूर्वक बताया कि ऊँटों की देखभाल और सुरक्षा कैसे की जाती है। उन्होंने यह भी समझाया कि ऊँटों से प्राप्त दूध, ऊन और मूत्र जैसे उत्पाद किस प्रकार ग्रामोद्योग और औषधीय उपयोग में काम आते हैं।

राठौड़ ने विद्यार्थियों को बताया कि ऊँट राजस्थान की परंपरा, जीवनशैली और अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि ऊँट न केवल “रेगिस्तान का जहाज” हैं बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे, जैसे ऊँटों को बीमारियों से कैसे बचाया जाता है, उनका प्रशिक्षण कैसे होता है, और ऊँटनी के दूध के फायदे क्या हैं। संचालक राठौड़ ने सभी सवालों का उत्तर सहज और प्रेरणादायक ढंग से दिया, जिससे विद्यार्थियों की जिज्ञासा और भी बढ़ी।

इस शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन The Wellington English Academy, Sadri संस्थान संचालक निकिता रावल के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से किया गया। उन्होंने बताया कि ऐसे भ्रमण विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तक से बाहर की व्यावहारिक शिक्षा देते हैं और उन्हें समाज व पर्यावरण से जोड़ने में सहायक होते हैं। निकिता रावल ने कहा कि विद्यालय का उद्देश्य विद्यार्थियों में संवेदनशीलता, जिज्ञासा और जिम्मेदारी की भावना विकसित करना है।

कार्यक्रम के अंत में राठौड़ ने विद्यार्थियों को संदेश दिया कि ऊँट संरक्षण केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा का प्रतीक है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे इस संदेश को अपने समुदाय तक पहुँचाएँ।

इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक नरेंद्र सिंह सोलंकी, शिक्षकगण शक्ति सिंह, श्रीमती नीलम गोस्वामी, यशवंत राठौड़, कु. आकांक्षा एवं विनी सुथार उपस्थित रहे। साथ ही विद्यार्थियों में आशमा, उर्मिला राजपुरोहित, भवानी राजपुरोहित, विशाखा मेवाड़ा और इल्मा छिपा ने विशेष उत्साह दिखाया।

भ्रमण के समापन पर विद्यार्थियों ने कहा कि यह अनुभव उनके लिए यादगार रहा। उन्होंने ऊँटों की महत्ता, उनकी उपयोगिता और संरक्षण के प्रति नई दृष्टि प्राप्त की।

विद्यालय प्रशासन ने इस प्रकार के शैक्षणिक भ्रमणों को विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक बताया और आगे भी ऐसे आयोजन जारी रखने की बात कही।

न्यूज़ डेस्क

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