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संघ शताब्दी समारोह में “ग्रीन लिटिल बेबी” श्रेया कुमावत की अनोखी पर्यावरण प्रदर्शनी

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शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी।  संघ की शताब्दी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में नन्ही पर्यावरण प्रेमिका श्रेया कुमावत ने अपनी अनोखी प्रदर्शनी के माध्यम से उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। भारतीय संस्कृति और स्वदेशी पर्यावरण की झलक से सजी यह प्रदर्शनी एक प्रेरणास्रोत साबित हुई।

इस प्रदर्शनी में श्रेया ने भारतीय वनस्पति की विविधता और देसी बीज संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया। उनके संग्रह में फल, फूल, पेड़ और औषधीय पौधों के बीज शामिल थे, जो पर्यावरण संरक्षण और जैविक खेती के महत्व को समझाने का काम कर रहे थे।

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प्रदर्शनी का सबसे आकर्षक भाग था “बेस्ट टू बेस्ट फ्रॉम वेस्ट”। इसमें प्लास्टिक के अपशिष्ट को रीसायकल कर बनाए गए पौधा-पात्रों में भारतीय संस्कृति से जुड़े वृक्ष और औषधीय पौधे लगाए गए थे। इसके अलावा, श्रेया ने जैविक खाद, लिक्विड खाद और प्राकृतिक कीटनाशक भी प्रदर्शित किए, जो जहरमुक्त खेती और स्वस्थ जीवनशैली के संदेश को मजबूती से पेश कर रहे थे।

कार्यक्रम में संघ के अनेक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि, और वरिष्ठ समाजसेवी उपस्थित थे। विशेष रूप से विधायक डॉ. लालाराम बैरवा, भारत भूषण प्रांत शारीरिक प्रमुख, दीपक और महंत सीताराम महाराज ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और श्रेया की पर्यावरणीय पहल की सराहना की।

श्रेया ने प्रदर्शनी में “बीज दान महादान”, “प्लास्टिक मुक्त घर स्वस्थ घर” और “इको फ्रेंडली जीवनशैली अपनाएं” जैसे प्रेरक संदेश दिए। उनका यह प्रयास लोगों को न सिर्फ भारतीय वनस्पति और देसी बीजों के महत्व से परिचित कराता है, बल्कि हर घर को हरियाली और स्वदेशी उत्पादों से जोड़ने का संदेश भी देता है। कार्यक्रम में आए लोगों ने भी श्रेया की पहल की अत्यधिक प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस उम्र में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और उसे बचाने के लिए इतना समर्पण देखना वास्तव में प्रेरणादायक है। कई लोगों ने तो कहा कि श्रेया जैसे युवा हमारे देश के लिए पर्यावरणीय बदलाव का प्रतीक हैं।

संघ शताब्दी समारोह में यह प्रदर्शनी न सिर्फ पर्यावरण जागरूकता फैलाने में सफल रही, बल्कि बच्चों और युवाओं को भी प्रेरित किया कि वे अपने जीवन में स्वदेशी पौधों, बीजों और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझें और अपनाएं।

श्रेया का यह प्रयास यह संदेश देता है कि पर्यावरण संरक्षण केवल बड़े कार्यकर्ताओं का काम नहीं है, बल्कि नन्हें बच्चे भी अपने छोटे-छोटे कदमों से समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। उनकी प्रदर्शनी में दिखाए गए प्राकृतिक और जैविक उत्पादों ने यह सिद्ध किया कि पर्यावरण के प्रति सजग रहना और स्थायी जीवनशैली अपनाना हर किसी के लिए संभव है। इस प्रदर्शनी ने उपस्थित लोगों के मन में यह भावना भी जागृत की कि हमें अपने घरों और आस-पास के वातावरण को स्वच्छ, हरित और स्वस्थ बनाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

मूलचन्द पेसवानी शाहपुरा

जिला संवाददाता, शाहपुरा/भीलवाड़ा

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