पात्र रहे भटक अपात्र को मिल रहा आवास योजना का लाभ
भाकियू कृष्णा ने खण्ड विकास अधिकारी को दिया ज्ञापन
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लोकेशन - कन्नौज रिपोर्ट --- अंकित श्रीवास्तव
- छिबरामऊ, कन्नौज।
शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन किसान के जिला संयुक्त मंत्री वैभव शुक्ला के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने खंड विकास अधिकारी को ज्ञापन देकर बताया कि आवास योजना के लिए पत्र लोग भटक रहे हैं और अपात्र लोग योजना का लाभ उठा रहे हैं।
ज्ञापन के माध्यम से बताया गया है कि विकासखंड क्षेत्र के ग्राम कुंवरपुर जनु निवासी अंजना पत्नी वीरेन्द्र पुत्री रमेश चन्द्र मिश्रा पूर्णतयः भूमिहीन एवं भवनहीन महिला है। वह और उनके बच्चे जन्म से ग्राम में निवास कर रहे है। प्रार्थिनी का नाम ग्राम की मतदाता सूची में है एवं प्रार्थिनी व प्रार्थिनी के बच्चों के नाम मतदाता सूची के अलावा आधार कार्ड में ग्राम का स्थान नाम व पता अंकित है।
प्रार्थना ने ग्राम में आवासीय कालोनी हेतु ग्राम प्रधान को आवेदन दिया था, जिस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। प्रार्थिनी की जानकारी में यह भी आया है कि गांव की ही रहने बाली एक महिला जो ग्राम में ही लगभग सात बीघा बेशकीमती कृषि भूमि और दो मंजिल पक्के मकान की स्वामिनी है। इसके बावजूद भी ग्राम प्रधान व प्रधान पति प्रतिनिधि एवं कर्मचारियों द्वारा उसको दैवीय आपदा आवास योजना के अन्तर्गत आवास आवंटित किया जा रहा है। जो पूर्णरूपेण अवैधानिक है। ग्राम प्रधान एवं कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे इस अविधिक कृत्य से अन्य पात्र व्यक्तियों को उनके हक से वंचित किया जा रहा है तथा मुझ प्रार्थिनी को आवासीय कालोनी की पात्रता सूची में नाम दर्ज कर कालोनी आवंटित किया जाना सामाजिक स्तरपर न्यायहित में अति आवश्यक है।
पात्रता को दृष्टिगत करते हुए पात्रता सूची में नाम दर्ज कर कालोनी आवंटित कराई जाने की मांग की है। इसके अलावा संगठन ने मांग की है कि उपरोक्त ग्राम पंचायत की आवासों की सभी सूची उपलब्ध कराई जाए, जिससे ग्राम पंचायत में प्रधान व प्रधान पति द्वारा जो ग्रामवासियों का आवासों के नाम पर धनराशि लेकर जो शोषण किया जा रहा है, उसे रोका जा सके।
ग्राम पंचायत में जो प्रधान व प्रधान पति एवं जाँच अधिकारियों द्वारा मिलीभगत से जो पात्र व्यक्तियों के आवासों को हटाकर अपात्र व्यक्तियों को आवास आवंटित किए गए हैं, जो कि स्वयं में जीता जागता भृष्टता का प्रतीक है। उन पर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए साथ ही सात दिन की समय सीमा के अन्तर्गत संगठन कार्यालय को भी सम्पूर्ण कार्यवाही की जानकारी भी उपलब्ध कराई जाए। अन्यथा की स्थिति में मुझे अग्रिम कार्यवाही के लिए मजबूर होना पड़ेगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।