बजरंग दल सेवा, सुरक्षा और संस्कार की त्रिवेणी: राजेश पटेल

पाली। शिकारपुरा बजरंग दल विगत 40 वर्षों से करोड़ों युवाओं के हृदय में सेवा, सुरक्षा और संस्कार भाव की त्रिवेणी के रूप में प्रवाहित हो रहा है। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की विषम परिस्थितियों में जन्मा यह संगठन आज एक शक्तिशाली युवा संगठन के रूप में स्थापित है।” उक्त विचार विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री राजेश पटेल ने श्री राजेश्वर मन्दिर धाम में बजरंग दल प्रांत शौर्य प्रशिक्षण वर्ग के समापन सत्र को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
यह संगठन सेवाभावी और राष्ट्र-धर्म के प्रति समर्पित युवाओं का संगठन है। श्रीराम, श्रीकृष्ण, श्री हनुमानजी, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों के आदर्शों को जीवन में उतारकर सनातन संस्कृति के उत्थान में सतत संलग्न है।
पटेल ने कहा, “बजरंग दल हिन्दू समाज का विश्वास बन चुका है। हमने लाखों गौमाताओं को कटने से बचाया, लव जिहाद में फंसी बहनों को सुरक्षित निकाला, प्राकृतिक आपदाओं में सेवा कार्य किए, युवाओं हेतु रोजगार प्रशिक्षण, रक्तदान, शिक्षा, चिकित्सा, नशा मुक्ति, तीर्थस्थलों की सुरक्षा, व श्रद्धा केंद्रों के संरक्षण जैसे अनेकों क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किए।” उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन में बजरंगियों के बलिदान की भूमिका सदा स्मरणीय रहेगी। उन्हीं के त्याग से आज भव्य श्रीराम मंदिर का स्वप्न साकार हुआ है।
प्रांत संगठन मंत्री ने कहा, की समाज की अपेक्षाएं आपसे जुड़ी हैं। यह आपका तपस्या काल था, अब उसका प्रतिफल समाज व संगठन को समर्पित करने का समय है, यहां से जाकर अपने क्षेत्र में समाज के वर्गों को बजरंग दल से जोड़कर संगठन विस्तार हेतु दीपक की तरह जलकर कार्य का प्रकाश फैलाना होगा।
समारोह की शुरुआत पूज्य संत सांवलाराम महाराज व अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई। प्रांत संयोजक विक्रम परिहार ने वर्ग की गतिविधियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए सभी सहयोगियों का आभार प्रकट किया। समापन समारोह में प्रांत मंत्री श्री परमेश्वर जोशी, बजरंग दल क्षेत्र संयोजक किशन प्रजापत, विभाग व जिला स्तरीय पदाधिकारी, ग्राम व मंदिर ट्रस्ट के गणमान्य जन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इसमें जोधपुर प्रांत के 25 जिलों से आए 370 कार्यकर्ताओं ने सात दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में शारीरिक, मानसिक व वैचारिक रूप से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ग संचालन हेतु 30 से अधिक शिक्षकों, प्रबंधकों व पदाधिकारियों ने सेवाएं दीं।