बाल शौर्य संगम: आदर्श शिक्षा संस्थान के 20 विद्यालयों का भव्य त्रिवेणी पथ संचलन कार्यक्रम संपन्न
सादड़ी। विद्या भारती से प्रेरित आदर्श शिक्षा संस्थान द्वारा संचालित 20 विद्यालयों का भव्य कार्यक्रम “बाल शौर्य संगम” सरस्वती विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक सादड़ी के रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में संपन्न हुआ। इस विराट आयोजन का मुख्य आकर्षण त्रिवेणीपथ संचलन रहा, जिसमें तीन धाराओं – गंगा, यमुना, और सरस्वती ने संगम स्थल पर एकजुट होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
त्रिवेणी संचलन की अद्वितीय शुरुआत
गंगा धारा माली समाज की बाड़ी रणकपुर रोड से 10:30 बजे प्रारंभ हुई। इसमें सुमेरपुर संकुल के राय गांधी आदर्श विद्या मंदिर तखतगढ़, सांडेराव, और सुमेरपुर के भैया-बहनों ने भाग लिया। यमुना धारा मां काली मंदिर नई आबादी से 10:32 पर शुरू हुई, जिसमें फालना, बाली, और सेवा के आदर्श विद्या मंदिरों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। वहीं, सरस्वती धारा बारली मौकाजी बस्ती से 10:30 बजे प्रारंभ हुई, जिसमें देसूरी और सादड़ी के विद्या मंदिरों के भैया-बहन शामिल हुए। तीनों धाराओं का संगम आकरीया चौक पर 10:46 बजे हुआ। इसके बाद सभी धाराएं सामूहिक रूप से 10:56 बजे बस स्टैंड पहुंचीं।
शारीरिक प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
आजाद मैदान स्थित रांका रंगमंच पर बाल शौर्य संगम स्थल पर भव्य शारीरिक प्रदर्शन आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम जी, राष्ट्रीय कवि युगराज जैन, समाजसेवी रूपचंद मंडन, और अरविंद राणावत ने मां शारदा, ओम, एवं भारत माता के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जिले के प्रमुख विद्यालयों ने विविध प्रकार के योग, व्यायाम, और साहसिक करतबों का प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में अतिथियों का सम्मान
कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथियों का स्वागत पारंपरिक तरीके से किया गया। उन्हें साफा, दुपट्टा, स्मृति चिन्ह, और उपहार भेंट किए गए। मुख्य वक्ता निंबाराम जी ने स्वामी विवेकानंद की 157वीं जयंती और रानी अहिल्याबाई होल्कर के त्रिशताब्दी वर्ष की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने देश की युवा पीढ़ी को प्रेरित करने वाले ऐसे आयोजनों की महत्ता पर बल दिया।
1100 छात्र-छात्राओं और हजारों अभिभावकों की भागीदारी
कार्यक्रम में जिलेभर से 1100 से अधिक भैया-बहनों, 150 से अधिक आचार्य बंधु-भगिनी, और हजारों अभिभावकों ने सहभागिता की। विद्या भारती के संपूर्ण जिले के प्रधानाचार्यों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की संपूर्ण रूपरेखा जिला प्रशिक्षण प्रमुख मनोहर सोलंकी द्वारा तैयार की गई। आयोजन को सफल बनाने में श्रवण त्रिवेदी, भवानी सिंह सांडेराव, मनोहर रावल, हीरालाल कुमावत, और अनेक अन्य गणमान्य व्यक्तियों का विशेष सहयोग रहा।
यह भव्य आयोजन भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं के संरक्षण व संवर्धन के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर सामने आया। कार्यक्रम ने शिक्षा और संस्कारों के महत्व को रेखांकित करते हुए स्वावलंबी युवा पीढ़ी के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण संदेश दिया।