सावन सोमवार एवं शिवामूठ (शिवमुष्टी व्रत)
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास प्रारंभ होने पर आने वाला पहला माह सावन होता है। रूढी परंपरा के अनुसार इस माह से व्रत आदि शुरू हो जाते हैं। इस माह को पवित्र माह कहा जाता है। इस माह में सावन सोमवार, नाग पंचमी, मंगला गौरी पूजन, नारियल पूर्णिमा ,रक्षाबंधन, शुक्रवार के व्रत ऐसे अनेक व्रत किए जाते हैं। इस माह के प्रत्येक सोमवार को सावन सोमवार व्रत किया जाता है।
इस वर्ष यह सावन सोमवार व्रत 7,14 ,21एवं 28 अगस्त को होंगे। सावन माह में सोमवार को शिव मंदिर में जाकर शिव पिंडी का अभिषेक, पूजा एवं शिवामूठ अर्पित करना इस तरह यह व्रत किया जाता है। प्रस्तुत लेख में सावन सोमवार का व्रत किस तरह अंगीकृत करना चाहिए इस संबंध में विवेचन किया गया है।
सोमवार के अलावा अन्य व्रत धर्म द्वारा बताए अनुसार एवं परंपरा के अनुसार शुरू रहते हैं। ऐसे इस पवित्र सावन माह के व्रत भक्ति भाव से करके उस के माध्यम से देवता का तत्व ग्रहण करके आनंद प्राप्त करेंगे।
प्रत्येक सोमवार को किया जाने वाला व्रत अर्थात सावन सोमवार : सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को भगवान शंकर के मंदिर में जाकर उनकी पूजा करनी चाहिए एवं संभव हो तो निराहार व्रत करना चाहिए अथवा एक भुक्त अर्थात (एक समय भोजन) करना चाहिए । इससे भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं एवं शिव सायुज्य मुक्ति प्राप्त होती है। सावन सोमवार को उपवास करके भगवान शिव की विधिवत पूजा करने का महत्व ग्रंथ ‘व्रत राज ‘में निम्न श्लोक के माध्यम से बताया गया है व इसका अर्थ भी आगे बताया गया है।
“उपोषितः शुचिर्भूत्वा सोमवारे जितेन्द्रियः।
वैदिकैर्लौकिकै र्मन्त्रैर्विधिवत पूजयेच्छिवम्।।”
अर्थ – संयम एवं शुचिता आदि नियमों का पालन करते हुए सोमवार को उपवास करके वैदिक अथवा लौकिक मंत्र से भगवान शिव की विधिवत पूजा करनी चाहिए।
शास्त्रकारों ने मन पर संयम रखकर शुचिता आदि नियमों के पालन के विषय में उसी तरह उपवास करने के संबंध में बताया है। उसी तरह अपने अपने ज्ञान के आधार पर संभव हो उस वैदिक अथवा लौकिक मंत्र के द्वारा शिवपूजन करना चाहिए ऐसा बताया है।
शिव पूजन कैसे करना चाहिए –
1) अपने घर के शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
2) शिवलिंग उपलब्ध ना हो तो शिव जी के चित्र की पूजा करनी चाहिए।
3) शिव जी का चित्र भी उपलब्ध ना हो तो पाट पर शिवलिंग अथवा शिव जी का चित्र बनाकर कर उसकी पूजा करनी चाहिए।
4) उपरोक्त कुछ भी संभव ना हो तो शिव जी का ‘ओम नमः शिवाय’ यह नाम मंत्र लिखकर उसकी भी पूजा की जा सकती है।
शिवजी की षोडशोपचार अथवा पंचोपचार पूजा की जा सकती है। पूजा करते समय भगवान शिव को सफेद फूल चढ़ा सकते हैं। त्रिदल बिल्वपत्र चढ़ाना चाहिए । शिव को अर्ध प्रदक्षिणा करनी चाहिए । उस दिन शिव जी का ‘ओम नमः शिवाय’ यह नाम जप अधिक से अधिक करना चाहिए।
शिवामूठ व्रत करने की पद्धति – विवाह के बाद प्रथम 5 वर्ष सावन सोमवार को शिवामूठ व्रत किया जाता है। सावन माह में आने वाले चार सोमवारों को चार अलग-अलग तरह के धान्य भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं। इसमें सावन माह के प्रत्येक सोमवार को एक भुक्त रहकर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए एवं क्रमानुसार चावल, तिल, मूंग, जौ एवं सत्तू (पांचवा सोमवार आए उस दिन) इन अनाजों की पांच मुठ्ठियां भगवान पर चढ़ानी चाहिए।
संदर्भ : सनातन संस्था का ग्रंथ ” त्यौहार, धार्मिक उत्सव, एवं व्रत “
लेखिका - कु. कृतिका खत्री सनातन संस्था, दिल्ली संपर्क - 99902 27769
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