12 घंटे तक चली लंबी बहस और तीखे वाद-विवाद के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित: ऐतिहासिक बदलाव या विवादों की नई शुरुआत?

लोकसभा में 12 घंटे तक चली लंबी बहस और तीखे वाद-विवाद के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को आखिरकार पारित कर दिया गया। इस विधेयक के समर्थन में 288 वोट पड़े, जबकि 232 सांसदों ने विरोध किया। विपक्ष के तीखे प्रतिरोध और सदन के भीतर उठे विवादों के बावजूद सरकार इस बिल को पारित कराने में सफल रही।
विधेयक की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
वक्फ संपत्तियां भारत में एक अहम कानूनी और धार्मिक मुद्दा रही हैं। वक्फ संपत्ति इस्लामी धार्मिक उद्देश्यों के लिए समर्पित भूमि और संसाधनों को संदर्भित करती है, जिसे सरकारी दखल के बिना प्रबंधित किया जाता रहा है। वर्तमान विधेयक को लाने का मकसद वक्फ बोर्डों की पारदर्शिता बढ़ाना, संपत्तियों के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करना, और गैर-मुस्लिम समुदायों को भी वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में शामिल करना बताया गया।
इस संशोधन के जरिए मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त कर दिया गया है, जिसे सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय करार दिया है।
संसद में विधेयक पर बहस और मुख्य तर्क
सरकार का पक्ष:
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि भारत में वक्फ संपत्तियों का तीसरा सबसे बड़ा लैंड बैंक है और अब तक उनके उचित प्रबंधन की कोई प्रभावी प्रणाली नहीं थी।
उन्होंने यह भी कहा कि:
- वक्फ संपत्तियों का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक सुधार आवश्यक हैं।
- पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल किया गया है।
- गरीब मुसलमानों को उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद मिलेगी।
- 60 वर्षों में वक्फ संपत्तियों से आम मुसलमानों को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ, अब सरकार इस दिशा में कदम बढ़ा रही है।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी बहस के दौरान विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “यह भारत का कानून है, इसे सभी को स्वीकार करना होगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्ष समाज को भ्रमित कर रहा है और इस बिल से किसी को नुकसान नहीं होगा।
विपक्ष का विरोध:
विपक्ष ने इस विधेयक को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप करार दिया।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि:
- यह राज्य सरकारों के अधिकारों को सीमित करने का प्रयास है।
- इससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता पर असर पड़ेगा।
- वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी और सरकार का सीधा नियंत्रण बढ़ जाएगा।
असदुद्दीन ओवैसी का तीखा विरोध:
एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में सरकारी दखल बताया और इसे स्वायत्तता पर आघात करार दिया। उन्होंने लोकसभा में अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए विधेयक की प्रति फाड़ दी।
संशोधनों को लेकर उठे विवाद
विपक्ष ने बिल में कई संशोधन पेश किए, जिनमें से एन.के. प्रेमचंद्रन द्वारा पेश किए गए संशोधन को 231 के मुकाबले 288 मतों से अस्वीकृत कर दिया गया। सरकार ने तीन महत्वपूर्ण संशोधन जोड़ते हुए खंड 4ए और 15ए को शामिल किया, जिसे सदन की मंजूरी मिल गई।
वक्फ संपत्तियों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
- भारत में वक्फ संपत्तियां इस्लामिक परंपराओं के तहत धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए समर्पित संपत्तियां हैं।
- 2006 की सच्चर कमेटी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 4.9 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियां दर्ज थीं, लेकिन उनकी आय सिर्फ 163 करोड़ रुपये थी।
- 2013 में कुछ संशोधन किए गए, लेकिन 10 सालों में आय सिर्फ 3 करोड़ रुपये बढ़ी।
- इस विशाल संपत्ति का उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए सुधार आवश्यक हैं।
क्या कहता है नया विधेयक?
- 1. वक्फ बोर्डों में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति।
- 2. वक्फ संपत्तियों के इस्तेमाल को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना।
- 3. वक्फ संपत्तियों पर होने वाले दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त प्रावधान।
- 4. राज्य सरकारों के नियंत्रण को कम कर केंद्रीय निगरानी बढ़ाना।
समाज और विशेषज्ञों की राय
समर्थक क्या कहते हैं?
इससे वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित होगा। पारदर्शिता बढ़ने से भ्रष्टाचार और अनियमितताएं कम होंगी। गरीब और जरूरतमंद मुसलमानों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।
विरोधी क्या कहते हैं?
- वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति धार्मिक स्वायत्तता का उल्लंघन है।
- राज्य सरकारों के अधिकार घटाने से प्रशासनिक जटिलताएं बढ़ेंगी।
- यह अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है।
भविष्य की राह
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 अब राज्यसभा में पारित होने के बाद ही कानून बनेगा। हालांकि, जिस तरह से इस विधेयक पर राजनीतिक दलों और समुदायों में मतभेद हैं, यह मामला आगे भी कानूनी और सामाजिक बहस का विषय बना रहेगा।
क्या यह विधेयक मुसलमानों के हक में बदलाव लाएगा या सरकार के नियंत्रण को मजबूत करेगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
Akatlar su kaçak tespiti Kalamış su kaçağı tespiti: Kalamış’ta su kaçaklarına teknolojik çözümler. https://www.lyfesaverscpr.com/?p=455943
Hello there! Do you know if they make any plugins to protect against hackers? I’m kinda paranoid about losing everything I’ve worked hard on. Any recommendations?