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अरावली पर्वतमाला पर क्यों छिड़ा विवाद, पर्यावरण बनाम विकास की जंग, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तेज हुई बहस

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नई दिल्ली / राजस्थान।  दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में शामिल अरावली पर्वतमाला एक बार फिर राष्ट्रीय बहस के केंद्र में है। खनन, रियल एस्टेट और औद्योगिक गतिविधियों को लेकर वर्षों से चल रहा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में अरावली की नई परिभाषा तय होने के बाद और गहरा गया है। सवाल यह नहीं है कि विकास हो या नहीं, बल्कि यह है कि क्या विकास के नाम पर अरावली की पारिस्थितिकी से समझौता किया जा सकता है।

कहां से उठा अरावली विवाद

अरावली विवाद की जड़ें कई दशक पुरानी हैं, लेकिन यह मुद्दा तब गंभीर हुआ जब—

  • राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में तेज शहरीकरण हुआ

  • अरावली क्षेत्र में वैध और अवैध खनन तेजी से बढ़ा

  • पहाड़ों की कटाई से भूजल स्तर लगातार गिरने लगा

  • दिल्ली-एनसीआर में धूल, प्रदूषण और जल संकट गहराया

  • सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को हस्तक्षेप करना पड़ा

2002 के बाद सुप्रीम कोर्ट और NGT ने कई बार अरावली में खनन और बड़े निर्माण कार्यों पर सख्त टिप्पणियां करते हुए रोक लगाई, जिसके बाद यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया।

सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला और “100 मीटर नियम”

हाल में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा अरावली की नई परिभाषा पेश की गई, जिसे मंजूरी मिली। इसके तहत—

केवल वही पहाड़ अरावली माने जाएंगे, जिनकी ऊंचाई आसपास के क्षेत्र से 100 मीटर से अधिक होगी।

पर्यावरण विशेषज्ञों का दावा है कि इस परिभाषा के लागू होने से अरावली की करीब 80 से 90 प्रतिशत छोटी पहाड़ियां कानूनी संरक्षण से बाहर हो सकती हैं। इन्हीं पहाड़ियों को भूजल रिचार्ज, जैव विविधता और धूल रोकने के लिए सबसे अहम माना जाता है।

सुप्रीम कोर्ट और NGT की भूमिका

  • सुप्रीम कोर्ट पहले ही अरावली को इको-सेंसिटिव क्षेत्र मान चुका है।
  • NGT ने अरावली को दिल्ली-एनसीआर का ग्रीन लंग बताया है।
  • अदालतें स्पष्ट कर चुकी हैं कि अरावली को नुकसान राजधानी क्षेत्र को सीधे पर्यावरणीय संकट में डालेगा।
  • कई बार राज्य सरकारों की नीतियों और अधिसूचनाओं को कोर्ट में चुनौती दी गई।

अवैध खनन बना सबसे बड़ा खतरा


ग्राउंड रिपोर्ट और ड्रोन सर्वे में सामने आया है कि—

राजस्थान और हरियाणा के कई हिस्सों में अवैध खनन अब भी जारी है

पहाड़ काटकर पत्थर और बजरी निकाली जा रही है

कुछ क्षेत्रों में पुराने बंद खनन स्थल दोबारा सक्रिय हो गए हैं

पर्यावरणविदों को आशंका है कि नई परिभाषा के बाद अवैध गतिविधियों को कानूनी संरक्षण मिलने का रास्ता खुल सकता है।

कौन क्या चाहता है

पर्यावरण विशेषज्ञों की मांग

अरावली में खनन और बड़े निर्माण पर सख्त रोक

पहाड़ और वन की वैज्ञानिक व पारिस्थितिक परिभाषा

जल, हवा और जलवायु सुरक्षा को प्राथमिकता

स्थानीय लोगों की दोहरी राय

कुछ लोग रोजगार के लिए खनन और उद्योग चाहते हैं

कई ग्रामीण अरावली को पानी, खेती और जीवन का आधार मानते हैं

रियल एस्टेट और उद्योग समूह

नियंत्रित और सीमित विकास की अनुमति

तर्क कि पूर्ण प्रतिबंध से आर्थिक गतिविधियां रुकती हैं

  • सरकार का रुख

विकास और पर्यावरण में संतुलन की बात

लेकिन नीति स्तर पर फैसलों को लेकर लगातार सवाल

अरावली के संरक्षण से होने वाले फायदे

  • जल संकट से बचाव

अरावली बारिश के पानी को रोककर भूजल रिचार्ज करती है। दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा के लाखों लोगों की जल सुरक्षा इसी पर निर्भर है।

  • रेगिस्तान के विस्तार पर रोक

अरावली थार मरुस्थल को उत्तर की ओर बढ़ने से रोकती है। इसके कमजोर होने से मरुस्थलीकरण का खतरा तेजी से बढ़ सकता है।

  • प्रदूषण पर नियंत्रण

अरावली दिल्ली-एनसीआर में धूल और प्रदूषण को रोकने वाली प्राकृतिक दीवार है।

  • जैव विविधता का संरक्षण

यह क्षेत्र वन्यजीवों, पक्षियों और औषधीय पौधों का प्राकृतिक आवास है।

अरावली से जुड़े विवाद और चुनौतियां

विकास परियोजनाओं पर रोक से आर्थिक गतिविधियां सीमित

खनन बंद होने से स्थानीय रोजगार पर असर

जमीन और पहाड़ की परिभाषा को लेकर लंबे कानूनी विवाद

विशेषज्ञों का मानना है कि समस्या अरावली नहीं, बल्कि उसका अवैज्ञानिक और अनियंत्रित दोहन है।

विशेषज्ञों की राय

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि

“अरावली सिर्फ पहाड़ नहीं, बल्कि उत्तर भारत की जीवनरेखा है। अगर यह कमजोर हुई तो असर पानी, हवा, खेती और मानव जीवन तक पहुंचेगा।”

  • अरावली पर्वतमाला केवल पत्थरों की श्रृंखला नहीं, बल्कि उत्तर भारत की पर्यावरणीय ढाल है।
  • अंधाधुंध खनन और निर्माण विनाशकारी साबित हो सकता है।
  • वहीं जिम्मेदार, सीमित और वैज्ञानिक विकास ही स्थायी समाधान है
  • अरावली का संरक्षण आने वाली पीढ़ियों की जल, जलवायु और जीवन सुरक्षा से सीधे जुड़ा हुआ है।

Khushal Luniya

Meet Khushal Luniya – A Young Tech Enthusiast, AI Operations Expert, Graphic Designer, and Desk Editor at Luniya Times News. Known for his Brilliance and Creativity, Khushal Luniya has already mastered HTML and CSS. His deep passion for Coding, Artificial Intelligence, and Design is driving him to create impactful Digital Experiences. With a unique blend of technical skill and artistic vision, Khushal Luniya is truly a rising star in the Tech and Media World.

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