आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक खुडाला फालना में श्रद्धा व समर्पण के साथ मनाया गया विश्व नवकार मंत्र दिवस

फालना (खुडाला): विद्या भारती द्वारा संचालित आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय, खुडाला फालना में विश्व नवकार मंत्र दिवस बड़े ही श्रद्धा, उत्साह और आध्यात्मिक भावनाओं के साथ मनाया गया। इस विशेष अवसर पर विद्यालय प्रांगण आध्यात्मिक ऊर्जा और नवकार मंत्र की पावन ध्वनि से गुंजायमान हो उठा।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रातःकालीन वंदना सभा में हुई, जिसमें विद्यालय के सभी भैया-बहनों (छात्र-छात्राओं) एवं आचार्यगण ने सामूहिक रूप से संगठित स्वर में नवकार मंत्र का उच्चारण किया। मंत्रोच्चारण के दौरान उपस्थित सभी जनों का मन एकाग्र होकर आत्मिक शांति की अनुभूति कर रहा था।
विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री मनोहर रावल ने इस अवसर पर उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए नवकार मंत्र के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह मंत्र जैन धर्म का मूल और सर्वाधिक पूजनीय मंत्र है, जिसे ‘णमोकार मंत्र’ भी कहा जाता है। यह न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति के लिए एक प्रेरणादायी आध्यात्मिक सूत्र है। यह मंत्र किसी भी प्रकार की भौतिक इच्छा या वरदान की याचना नहीं करता, बल्कि आत्मा के उत्थान और उन महान आत्माओं को नमन करता है जिन्होंने मोक्ष की ओर अग्रसर होकर सम्यक ज्ञान, दर्शन और चारित्र को प्राप्त किया है।
उल्लेखनीय उपस्थिति: इस पावन अवसर पर विद्यालय के कार्यालय प्रमुख श्री कृपाल सिंह भाटी सहित समस्त आचार्य बंधु-भगिनी उपस्थित रहे। इनमें आचार्य किरण सिंह, पोमाराम, रमेश कुमार, गणपत कुमार, हितेश कुमार, हुकम सिंह, दिनेश कुमार, सुरेश कुमार, अनीषा कुमारी, मंजू प्रजापत, ललिता रावल, निकिता शर्मा, सपना सोलंकी, भावना देवासी, मंजू सुथार, सुंदर कुमारी, वंदना राव, प्रियंका एवं मनीषा कुमारी प्रमुख रूप से शामिल थे।
विद्यालय परिवार द्वारा इस आयोजन को न केवल धार्मिक आस्था के रूप में, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और नैतिक मूल्यों की शिक्षा के रूप में भी देखा गया। यह दिवस विद्यार्थियों को आंतरिक शुद्धता, संयम, करुणा और आध्यात्मिक अनुशासन की ओर प्रेरित करता है।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस आयोजन ने न केवल विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क में नवकार मंत्र की महत्ता को स्थापित किया, बल्कि उन्हें जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाने की प्रेरणा भी दी।