आर्य समाज पाली में श्रावणी उपाकर्म पर्व पर धारण किया नवीन यज्ञोपवीत
- पाली
आर्य समाज पाली में श्रावणी उपाकर्म पर्व पर प्रधान मंगाराम आर्य की अध्यक्षता में आर्य समाज पदाधिकारियों ने नवीन यज्ञोपवीत धारण कर वेद एवं वैदिक साहित्य के स्वाध्याय का संकल्प लिया।
इस अवसर पर प्रधान मंगाराम आर्य ने कहा कि श्रावणी उपाकर्म के अन्तर्गत वेदों के श्रवण मनन का विशेष महत्त्व है। पूर्व प्रधान गजेन्द्र अरोड़ा ने यज्ञोपवीत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा की यज्ञोपवीत धारण करने के बाद ही मनुष्य को वेद पढ़ने पढ़ाने और सुनने सुनाने का अधिकार मिलता है। आर्य समाज के मंत्री विजयराज आर्य ने स्वाध्याय की महता पर उद्बोधन देते हुए कहां की जब-तक भारत में वेदों के स्वाध्याय की परम्परा रही तब तक देश खुशहाल एवं ज्ञान विज्ञान में विश्व का सिरमोर रहा। जैसे ही स्वाध्याय की परम्परा बंद हुई देश मैं ढोंग पाखण्ड एवं अंधविश्वास फेलने लगा।
प्रचार मंत्री घेवरचन्द आर्य ने बताया इससे पूर्व श्रावणी पुर्णिमा की विशेष आहुतियां से हवन किया गया। जिसमें पूर्व प्रधान गजेन्द्र अरोड़ा सपत्नीक मुख्य यजमान बने। मगाराम आर्य, विजयराज आर्य ने ईश्वर भक्ति के भजन सुनाया, सिद्धार्थ जांगिड़ ने शान्ति पाठ करवाया, रिद्धि जांगिड़ ने आर्य समाज के नियमों का वाचन किया।
कार्यक्रम मे शिवराम प्रजापत, रामकिशोर लखेरा, घेवरचन्द आर्य, देवेन्द्र मेवाड़ा, हनुमान आर्य, चन्द्राराम प्रजापत, रिंकू पंवार, मदनलाल जांगिड़, निर्मला मेवाड़ा, शीला अरोड़ा, का सहयोग रहा।