भीलवाड़ा न्यूज

कुआं खोद 29 सालों से राहगीरों की प्यास बुझा रहा ये बुजुर्ग, पढ़ें- भीलवाड़ा के ‘पानी बाबा’ की कहानी

Satyanarayan Sen
Reporter
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जिंदगी के 88 बसंत देख चुके यह हैं गुंदली गांव के मांगीलाल गुर्जर। 95 वर्ष में दुनिया से हुए विदा यादें रहेगी


भीलवाड़ा में इन्हें लोग ‘पानी बाबा’ कहते हैं। इस बुजुर्ग पानी बाबा की कहानी एक बार फिर विश्व जल दिवस पर चर्चा में है। पिछले 29 सालों से मांगीलाल अपने हाथों खोदे हुए कुएं से पानी निकाल कर राहगीरों को पिलाने का नेक काम कर रहे हैं। बिना किसी लोभ-लालच के बाबा फ्री में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पानी का मटका और लोटा लिए पानी बाबा अपने गांव से काफी दूर दूसरे गांवों तक पहुंच जाते हैं। उन्हें बरसों से जल सेवा करते देख रहे हैं लोग भी आदर-सत्कार करते हैं। पानी बाबा जिस भी गांव में जाते हैं लोग उनके खाने की व्यवस्था भी कर देते हैं।

मांगीलाल ने इस नेकी की शुरुआत 29 साल पहले की। पहले 20 साल तक अपने हाथों से एक कुआं खोदा और उस से पानी निकालकर राहगीरों को पानी पिलाने का काम शुरू किया। यह काम इन्होंने भीलवाड़ा से अमरगढ़ और बागोर जाने वाली मुख्य सड़क से 3 किलोमीटर अपने गांव जाने के रास्ते के चौराहे पर शुरू किया। तब तक उनके गांव जाने का एक यही कच्चा रास्ता था। जहां लोगों को पैदल या बैलगाड़ी जैसे साधनों से जाना होता था। लेकिन वहां पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं था।

राहगीरों की प्यास बुझाने खोदा 25 फीट गहरा कुआं

जब रास्ते भर लोगों को पानी की तलब बुझती नहीं देखी तो मांगीलाल ने राहगीरों के सूखे कंठ तर करने का जिम्मा उठाया था। इन्होंने यह कुआं 29 साल पहले गुंदलीं ग्राम के चौराहे पर बनाया। कुएं की गहराई लगभग 25 फीट थी। जब कुआं तैयार हुआ तो उसी में से अपने हाथों से पानी निकाल कर राहगीरों को पिलाना शरू किया।

  • सभी समाज के सामाजिक कार्यों में सम्मिलित होते पर सेन समाज के कार्यक्रम में विशेष तौर पर देखे जातें
  • मांगी लाल गुर्जर पानी पिलाने के लिए सभी समाज के सामाजिक कार्यक्रम में जाते थे परन्तु सेन समाज के सामाजिक ककार्यक्रम में विशेष रूप से पानी पिलाते दिखाई देते थे
  • विकास हुआ तो राहगीरों का रुकना बंद हुआ, लेकिन पानी बाबा ने नहीं छोड़ा काम
  • पानी बाबा मांगीलाल गुर्जर के गुंदलीं चौराहे पर पानी पिलाते-पिलाते 22 बरस गुजर चुके थे।
  • सेवा को धर्म बनाया और घूम-घूमकर पानी पिलाना जारी रखा

अविवाहित मांगीलाल गुर्जर को बचपन से ही लोगों की सेवा करना अच्छा लगता था। आगे चलकर उन्हें लोगों को पानी पिलाने पर सकून मिलने लगा। और यह इस सेवा को अपना धर्म बनाकर घूम-घूमकर लोगों का पानी पिलाने लगे। पानी बाबा अपने गांत तक सीमित नहीं रहे, पानी का मटका लिए इस पानी बाबा को गुरलाँ, गंगापुर, बागोर, रायपुर, मांडल, कोशीथल, मांडलगढ़ और राजसमंद जिले के आमेट, देवगढ़, कुंवारिया और कुरज तक के लोग हर छोटे-बड़े शहर और गांव के गलियारों में कहीं भी देखा जा सकता है।

जहां भी जाते हैं, लोग खाने की व्यवस्था कर देते हैं

पानी बाबा के नाम से मशहूर मांगीलाल गुर्जर कहते हैं, ‘ऐसे लोगों को पानी पिलाते हुए मुझे 29 साल हो गए हैं। इससे पहले 20 साल तक गुंदलीं चौराहे पर बैठकर पानी पिलाया था। मैं घूम-घूमकर कभी मांडलगढ़ चला जाता हूं, कभी बंक्यारानी आ जाता हूं। आमेट चला जाता हूं तो कभी कुंवारिया दरीबा माइंस अपने गांव। जहां भी जाता हूं लोग मेरे खाने की व्यवस्था कर देते हैं। मेरे परिवार में मैं ही अकेला हूं। मेरी पुश्तैनी जमीन भी है, लेकिन मुझे उसकी कभी जरूरत नहीं पड़ी। उसकी उपज आज भी मेरे चाचा के लड़के ही लेते हैं।’

Khushal Luniya

Meet Khushal Luniya – A Young Tech Enthusiast, AI Operations Expert, Graphic Designer, and Desk Editor at Luniya Times News. Known for his Brilliance and Creativity, Khushal Luniya has already mastered HTML and CSS. His deep passion for Coding, Artificial Intelligence, and Design is driving him to create impactful digital experiences. With a unique blend of technical skill and artistic vision, Khushal Luniya is truly a rising star in the tech and Media World.

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