जयपुर में 70 नवसृजित उचित मूल्य की दुकानों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू
जयपुर की नई दुकानों में रोज़गार की उम्मीद

जयपुर की गलियों में इन दिनों एक नई चर्चा है। हर चाय की दुकान, हर नुक्कड़ पर यही सवाल गूंज रहा है—“क्या तुमने उचित मूल्य की दुकान के लिए आवेदन किया?”
सोमवार से जिले में 70 नई दुकानों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो रही है। जिला रसद अधिकारी के दफ्तर में तैयारी पूरी है। एक ओर जयपुर प्रथम कार्यालय 11 दुकानों के लिए तैयार बैठा है, तो दूसरी ओर जयपुर द्वितीय कार्यालय ने 59 दुकानों की सूची जारी कर दी है।
सुबह 9:30 बजे से शाम 6 बजे तक लोग दफ्तरों के चक्कर लगाएंगे। पहले 30 सितम्बर तक आवेदन पत्र लेने होंगे और फिर 15 सितम्बर से 10 अक्टूबर तक भरे हुए प्रपत्र जमा कराने होंगे। ₹100 शुल्क के इन फॉर्म्स के लिए लोगों को केवल रसद कार्यालय पर ही भरोसा करना होगा, क्योंकि बाहर से खरीदे गए प्रपत्र मान्य नहीं होंगे।
लेकिन यह अवसर सबके लिए नहीं। आवेदन करने वाला शहरी क्षेत्र में उसी वार्ड का निवासी होना चाहिए, जहां दुकान खुलनी है। ग्रामीण इलाकों में भी यही नियम लागू है—ग्राम पंचायत के भीतर का निवासी ही पात्र होगा।
दफ्तर में बैठे त्रिलोकचंद मीणा, जिला रसद अधिकारी, समझाते हैं—
“हम चाहते हैं कि जिस इलाके में दुकान है, वहीं का कोई व्यक्ति उसका संचालन करे। इससे न केवल लोगों का भरोसा बढ़ेगा बल्कि स्थानीय स्तर पर रोज़गार भी मिलेगा।”
21 से 45 साल की उम्र के बीच के युवक-युवतियां अब इस मौके की ओर देख रहे हैं। उनके हाथ में आधार कार्ड, वोटर लिस्ट की कॉपी और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेज होंगे। न्यूनतम योग्यता स्नातक तय की गई है, लेकिन यदि स्नातक नहीं मिले तो 12वीं पास भी आवेदन कर सकते हैं। कंप्यूटर का तीन महीने का कोर्स जरूरी है, और जिनके पास यह नहीं है, उन्हें चयन के छह महीने में यह प्रशिक्षण पूरा करना होगा।
कई युवा इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी उम्मीद मान रहे हैं। मोतीडूंगरी मंदिर के पास खड़ा विजय कहता है,
“मैं बी.ए. कर चुका हूँ। अगर यह दुकान मिल गई तो मुझे अपने मोहल्ले में रोज़गार भी मिलेगा और सम्मान भी।”
दूसरी ओर, रामगढ़ मोड़ की सीमा देवी अपने आवेदन की तैयारी कर रही हैं। उनके चेहरे पर उत्साह झलकता है।
“मैं चाहती हूँ कि हमारे वार्ड की महिलाएं अब दूसरों पर निर्भर न रहें। अगर यह दुकान मुझे मिली तो मैं खुद भी आत्मनिर्भर बनूंगी और दूसरी महिलाओं को भी साथ जोड़ूंगी।”
जयपुर की ये 70 दुकानें अब सिर्फ राशन वितरण केंद्र नहीं रह गई हैं। वे बन चुकी हैं सपनों की दुकानें—जहां हर आवेदक अपने भविष्य का एक नया चेहरा देख रहा है।











