अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशन में तेरापंथ महिला मंडल उदयपुर के बैनर तले शहर के लोकाशाह भवन में प्रेक्षा ध्यान कार्यशाला का आयोजन युग प्रधान आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि सुरेश कुमार के सानिध्य में आयोजित हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेक्षा ध्यान गीत आत्म साक्षात्कार प्रेक्षा ध्यान के द्वारा से हुआ.
मुनि श्री संबोध कुमार मेधांश ने कहा यह दौर मीडिया और टेक्नोलॉजी का है इस दौर ने तनाव के ग्राफ को ऊंचा उठाया ध्यान तनाव को तोड़ता है उन्होंने स्वास प्रेक्षा का प्रयोग करवाते हुए कहां स्वास का संतुलन आवेग और संवेग को संतुलित करता है स्वास को सम्यक बनाना सीख ले जीवन का यही खुशहाली का अहो मंत्र है.
मुनि सिद्ध प्रज्ञजी ने कहा आचार्य महाप्रज्ञ जीने 12 वर्षों तक स्वयं के शरीर पर प्रयोग किया परिणाम रूप राजस्थान की राजधानी जयपुर में 1975 में प्रेक्षा काध्यान पद्धति का शुभारंभ हुआ ।प्रेक्षा का अर्थ है ज्ञाता, दृष्टा भाव से देखना। उदयपुर में प्रेक्षा ध्यान की भूमिका बनाई गई। 50वर्ष के संपन्नतापर प्रेक्षा ध्यान कल्याण वर्ष का समायोजन मानव मन की शांति का कारण बने उदयपुर में प्रेक्षा-योग सेंटर की स्थापना हो यह इस वर्ष की उपलब्धि।
स्वागत मंडल अध्यक्ष सीमाजी बाबेल, प्रेक्षा ज्ञान गीतिका का संगान संगीता पोरवाल, मनीषा पोरवाल, निर्मला जैन, शशि बालाजी लोढ़ा, पुष्पाजी कोठारी ने किया। वही आभार मंत्री ज्योति कच्छारा ने जताया। मंच संचालन विज्ञ प्रचेता उपासिका श्रीमती संगीता पोरवाल ने किया।