निविदाओं की अधिकतम न्यून दर दस प्रतिशत करने का मामला विधानसभा सत्र के दौरान गुंजा

- टुण्डी
40-50 प्रतिशत न्यूनतम दर होने के कारण कार्य की गुणवत्ता प्रभावित – मथुरा प्रसाद महतो
झारखंड में इन दिनों निविदाओं में 40-50 प्रतिशत न्यूनतम दर होने के कारण कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित हो रहा है साथ ही योजनाएं समय सीमा पर पूरी नहीं हो पाने से लोगों को कई तरह की कठिनाइयों से जुझना पड़ता है। झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान माननीय सदस्य मथुरा प्रसाद महतो टुण्डी विधानसभा ने आज़ सोमवार को जोरदार रूप से उठाया। सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए माननीय सदस्य ने आगे कहा है कि झारखंड लोक निर्माण संहिता 2012 पी डब्लू डी कोड़ 2012 में संकल्प संख्या प.नि.नि. /विविध 06-33-2007 (अंश -1)2148(s) रांची दिनांक 9.9.2020 द्वारा व्यापक संशोधन किया है। संशोधन द्वारा झारखंड पी डब्लू डी कोड़ की धारा 163(a) को निरस्त कर दिया गया है जिसमें प्रावधान था

कि किसी निविदा के परिमाण विपत्र (बिल ऑफ क्वांटिटी ) में उद्त राशि से 10% से नीचे दर वाली निविदाएं मान्य नहीं होगी। संशोधन के माध्यम से पी डब्लू डी कोड में नई धारा 172(a) समाहित कर दी गई है जिसके अनुसार निविदाओं में 10% से नीचे दर वाली निविदाएं अनुमान्य होगी साथ ही संशोधन के द्वारा 10% से नीचे वाले निविदाऐं में अतिरिक्त जमानत राशि का प्रावधान जोड़ दिया गया माननीय सदस्य ने आगे कहा की नतीजतन परिमाण विपत्र की राशि से 36-40 प्रतिशत तक नीचे की निविदाएं स्वीकृत हो रही है जिसका सीधा असर कार्य की गुणवत्ता पर पड़ रहा है लघु एवं मध्यम श्रेणी के अभियंत्रण कार्यों पर भी व्यापक असर देखा जा रहा है। 172(a) को संशोधित कर विलोपित किए जाएं और झारखंड लोक निर्माण संहिता में इस संशोधन के पूर्व विहित धारा 163(a) को पुनः स्थापित करने की मांग माननीय सदस्य मथुरा प्रसाद महतो द्वारा किया गया ताकि परिमाण विपत्र के 10% से नीचे वाली निविदाओं को लोक निर्माण कार्य हित में अमान्य किया जा सके।










