पाली जिले में दलित महिला नेत्री पर डॉक्टर का अमानवीय हमला: कार्रवाई की माँग तेज

- पाली
पाली जिले में एक शर्मनाक और निंदनीय घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है।
महिला कांग्रेस की पूर्व जिला अध्यक्ष एवं मेघवाल समाज से संबंध रखने वाली दलित नेत्री रेखा परिहार के साथ डॉक्टर द्वारा कथित रूप से की गई मारपीट और जातिगत अपमान ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रात को रेखा परिहार की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद वे अपने भाई दीपा राम, रिश्तेदार हितेश, और बहन निरमा के साथ इलाज के लिए बूसी (पाली) स्थित एक निजी अस्पताल पहुँचीं। आरोपों के अनुसार, अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ. रमेश सीरवी ने उन्हें इलाज देने के बजाय जातिसूचक गालियाँ दीं, और उनसे शारीरिक रूप से मारपीट की।
प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ित पक्ष के अनुसार, डॉक्टर ने रेखा परिहार का गला दबाया, छाती और पेट पर घूँसे मारे, और लात-घूंसे चलाए। जब उनके भाई दीपा राम ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो उनके साथ भी मारपीट की गई, और हितेश का गला दबाने की कोशिश की गई।
जातिगत उत्पीड़न की आशंका:
यह घटना केवल एक चिकित्सकीय लापरवाही का मामला नहीं बल्कि एक स्पष्ट जातिगत हिंसा और महिला उत्पीड़न का गंभीर मामला बनकर सामने आई है। पीड़िता के दलित होने के चलते इस मामले को अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज किया जाना चाहिए।
प्रशासनिक लचरता पर सवाल:
इस गंभीर घटना के बाद डॉक्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना अपेक्षित था, लेकिन प्रशासन ने उन्हें केवल एपीओ (Awaiting Posting Orders) जोधपुर कर दिया, जो कि पीड़ित पक्ष और समाज के लिए न्याय का अपमान है। ऐसी कार्रवाई से न तो आरोपी पर कोई प्रभाव पड़ता है और न ही यह पीड़िता को सुरक्षा या सम्मान दिलाने में कारगर है।
न्याय की माँग:
इस अमानवीय और अपमानजनक घटना के खिलाफ पार्षद रमेश प्रजापत (सादड़ी) ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“ऐसे निंदनीय कृत्य करने वाले डॉक्टर को सिर्फ एपीओ करना न्याय का मज़ाक है। प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत प्रभाव से आरोपी डॉक्टर को निलंबित करे, गिरफ्तार करे और उस पर SC/ST एक्ट के तहत कड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज करे। समाज अब चुप नहीं बैठेगा।”
समाज में रोष और आंदोलन की चेतावनी:
इस घटना के बाद दलित संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों ने भी प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की माँग की है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो समाज बड़े स्तर पर आंदोलन कर सकता है।यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि समूचे दलित समाज की गरिमा और महिला सुरक्षा पर हमला है। प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि वह न्याय सुनिश्चित करे, ताकि भविष्य में कोई भी दलित महिला या कमजोर वर्ग का व्यक्ति इस प्रकार के दुर्व्यवहार का शिकार न हो।
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