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पाली: राष्ट्र सेविका समिति ने निकाला नवीनोदय पथ संचलन, शहर वासियों ने की पुष्प वर्षा

पाली 15 जनवरी। राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय प्रमुख कार्यवाहिका माननीय सीता गायत्री अन्नदानम् का संगठनात्मक प्रवास जोधपुर प्रान्त में चल रहा है। इस प्रवास के अन्तर्गत उनका पाली विभाग में प्रवास प्रवास पर राष्ट्रीय सेविका समिति द्वारा पाली विभाग का नवीनोदय पथ संचलन निकाला गया।

पाली विभाग की कार्यवाहिका अंजना सर्राफ ने बताया कि प्रमुख कार्यवाहिका के सम्मान में पाली में सेविकाओं ने भव्य पथ संचलन निकाला। 421 सेविकाएं कदम से कदम मिलाकर चली। इस संचलन को लेकर सेविकाओं में बहुत उत्साह का भाव दिखा। शीतलहर के बावजूद मातृ शक्ति व सेविका बहनें पिछले एक माह से संचलन की तैयारियों कर रही थी।

उन्होंने बताया की इस संचलन के लिए सेविकाओं का कार्य 1 माह से चल रहा था। इस निमित्त संचलन मार्ग , घोष की पूर्व तैयारी की गई थी। संचलन में पाली की पहली महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट शानू पारख अध्यक्षा के रूप में उपस्थित थीं। श्रीमती संतोष पालरिया, पुनायता उच्च माध्यमिक विद्यालय की उप प्रिंसिपल अतिथि के रूप में उपस्थित रही।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शानू पारख ने कहा कि महिलाएं राष्ट्र की सेवा के लिए योग्य बन रही है । इसके साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर भी बनना है। आत्मनिर्भर बनने के लिए उन्हें केवल पढ़ाई पर निर्भर नहीं रहकर यदि पढ़ाई नहीं कर पाए तो कंप्यूटर, ब्यूटी पार्लर ,सिलाई, बुनाई ऐसे कई कार्य होते है जो करके वह आर्थिक रूप से मजबूत बन सकती है।

 

 

मुख्य वक्ता अखिल भारतीय प्रमुख कार्यवाहिका अन्नदानम सीता गायत्री दीदी ने सभी सेविका बहनों को संबोधित करते हुए कहा की पथ संचलन भी हमें जीवन की एक सीख देता है। हम निश्चित मार्ग पर चलते हैं। चलते समय हम अपने आप का पूरा संतुलन रखते हुए किसी भी प्रकार के प्रलोभन से भी बचते हैं। इसका भी एक अपना आनंद होता है और समाज को भी अपनी शक्ति का दर्शन होता है। उन्होंने कहा कि पहले जब युद्ध होते थे तब युद्ध के बाद सैनिकों का मार्च पास्ट नगर में से निकलता था जिससे जनता को बहुत गर्व महसूस होता था और उनका विश्वास भी बढ़ता था कि हम सुरक्षित हैं। ऐसे ही यह अपने मातृ शक्ति का मार्च पास्ट है जिसे हम पथ संचलन कहते हैं।

वर्तमान में भारत के 1020 जिलों में से 850 जिलों तक समिति कार्य फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि सीता, सावित्री दमयंती यह पुराण काल में ही नहीं अब भी कई रूपों में अपने मध्य है। भारत की महिलाएं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। इन्होंने कश्मीर का प्रसंग सुनाते हुए कहा की गोलीबारी के बीच में भी वहां की महिलाएं मंदिर में भजन करती है। यह उनका ईश्वर पर और अपने आप पर विश्वास है तभी वह विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं घबराती है। सीता जी ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है के भारत पुन:विश्व गुरु के पद पर बैठेगा।

नवीनोदय पथ संचलन बांगड़ महाविद्यालय खेल मैदान से प्रारंभ होकर शिवाजी सर्कल, लोढा स्कूल, सुरजपोल, अहिंसा सर्कल, डिस्ट्रीक्लब चौराया होते हुए समापन बांगड़ स्कुल पर हुआ। पाली की धरा पर निकले इस नवीनोदय पथ संचलन में 421 महिलाओं और बहनों ने पथ संचलन में भाग लिया । सबने बहुत जोश से संचालन निकाला। इसमें 10 वर्ष से लेकर 60 वर्ष की महिलाओं ने भाग लिया। पाली के नागरिकों ने स्वागत द्वार बनाकर इसका जगह-जगह पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।

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