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राजस्थान में कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में: सीकर के अजीतगढ़ में पुलिस पर हमला, दो थाना अधिकारियों के सिर फूटे

सीकर (राजस्थान) – राजस्थान के सीकर जिले के अजीतगढ़ क्षेत्र में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। 1 अप्रैल की रात एक कुख्यात अपराधी महिपाल को पकड़ने गई पुलिस को ग्रामीणों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। हालात इतने बिगड़ गए कि तीन पुलिस दलों को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया, और संघर्ष में 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

घटना का पूरा विवरण

सूत्रों के अनुसार, पुलिस को सूचना मिली थी कि अपराधी महिपाल एक शादी समारोह में मौजूद है। अजीतगढ़ थानाधिकारी मुकेश सेपट के नेतृत्व में पुलिस दल उसकी गिरफ्तारी के लिए वहां पहुंचा। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों ने पुलिस को घेर लिया और बंधक बना लिया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए खंडेला थानाधिकारी इंद्रजीत यादव अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे, लेकिन वे भी ग्रामीणों के गुस्से का शिकार हो गए और बंधक बना लिए गए।

जब यह खबर जिला मुख्यालय पहुंची, आईपीएस भुवन भूषण यादव ने मोर्चा संभाला तथा अतिरिक्त पुलिस बल भेजा गया। इस दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प हुई, जिसमें 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए। थानाधिकारी मुकेश सेपट और इंद्रजीत यादव को गंभीर चोटें आईं और उनके सिर फूट गए।

राजस्थान में पुलिस पर लगातार हो रहे हमले

भजनलाल शर्मा की सरकार बनने के बाद से राजस्थान में पुलिस पर हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। सीकर की घटना से पहले भी कई मामलों में पुलिस को ग्रामीणों और असामाजिक तत्वों के गुस्से का सामना करना पड़ा है।

27 फरवरी 2024 (भरतपुर): पुलिस एक हिस्ट्रीशीटर की गिरफ्तारी के लिए गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों ने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए।

15 मार्च 2024 (दौसा): अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने गई पुलिस पर खनन माफियाओं ने हमला कर दिया, जिससे दो पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए।

22 मार्च 2024 (झुंझुनू): ग्रामीणों ने नशे के खिलाफ अभियान चला रही पुलिस टीम को घेरकर पीटा, और पुलिस की गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया।

28 मार्च 2024 (कोटा): एक अपराधी को पकड़ने गई पुलिस को भीड़ ने घेर लिया और पथराव कर दिया, जिसमें एक पुलिस अधिकारी घायल हो गया।

5 जनवरी 2024 (जयपुर): अवैध शराब माफियाओं के अड्डे पर छापा मारने गई पुलिस पर अचानक हमला कर दिया गया, जिसमें चार पुलिसकर्मी घायल हो गए।

12 फरवरी 2024 (पाली): स्थानीय गैंगस्टरों को पकड़ने गई पुलिस पर लाठी-डंडों से हमला हुआ, जिसमें एक थाना अधिकारी को गंभीर चोट आई।

8 मार्च 2024 (बीकानेर): प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस टीम पर पथराव किया गया, जिससे तीन पुलिसकर्मी घायल हुए और एक पुलिस वाहन में आग लगा दी गई।

20 मार्च 2024 (अलवर): जबरन वसूली के मामले में संलिप्त अपराधियों को पकड़ने गई पुलिस पर भीड़ ने हमला कर दिया, जिसमें दो कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गए।

25 मार्च 2024 (उदयपुर): पुलिसकर्मियों को ग्रामीणों ने पेड़ से बांधकर पीटा, जब वे एक फरार अपराधी को पकड़ने के लिए गए थे।

30 मार्च 2024 (सवाई माधोपुर): पशु तस्करी रोकने गई पुलिस पर भीड़ ने हमला कर दिया, जिसमें एक उपनिरीक्षक और दो सिपाही घायल हो गए।

कानून व्यवस्था पर सवाल

इस घटना ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस की कार्यशैली पर भी उंगलियां उठ रही हैं।

1. पुलिस की रणनीति पर सवाल – एक अपराधी को पकड़ने के लिए शादी समारोह जैसी भीड़भाड़ वाली जगह पर छापा मारने से पहले रणनीतिक योजना बनानी चाहिए थी।

2. सूचना तंत्र की विफलता – एक पुलिस दल के बंधक बनाए जाने के बाद तुरंत उच्चाधिकारियों को सतर्क होकर उचित कदम उठाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

3. ग्रामीणों का बढ़ता दुस्साहस – यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान में पुलिस पर हमला हुआ हो। पुलिस का खौफ अपराधियों और असामाजिक तत्वों में घटता जा रहा है।

4. प्रशासन की लापरवाही – पुलिस अधीक्षकों, रेंज आईजी और डीजीपी को इतने बड़े घटनाक्रम की जानकारी समय रहते नहीं मिली, जो दर्शाता है कि सूचना तंत्र पूरी तरह फेल है।

पुलिस की पिटाई से सरकार की छवि प्रभावित

इस घटना के बाद भाजपा सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, जिनके पास गृह विभाग भी है, को इस मामले में कठोर कदम उठाने की जरूरत है।

राजस्थान में पुलिस की पिटाई के बढ़ते मामलों ने सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है। इससे पहले भी कई मामलों में पुलिस को ग्रामीणों और असामाजिक तत्वों से मार खानी पड़ी है। हाल ही में होली के दिन 65,000 पुलिसकर्मियों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को समय रहते नहीं मिली। यह दर्शाता है कि राजस्थान पुलिस प्रशासनिक स्तर पर कमजोर हो गया है।

समाधान और आवश्यक कदम

1. पुलिस प्रशिक्षण और रणनीतिक सुधार – पुलिस को भीड़भाड़ वाले इलाकों में कार्रवाई के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

2. खुफिया तंत्र मजबूत किया जाए – अपराधियों और असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई से पहले खुफिया जानकारी की पुष्टि अनिवार्य होनी चाहिए।

3. सख्त कार्रवाई की जरूरत – जो लोग पुलिस पर हमला कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

4. पुलिस बल का मनोबल बढ़ाया जाए – लगातार पुलिस पर हो रहे हमलों से उनके मनोबल पर असर पड़ा है। सरकार को पुलिसकर्मियों के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

राजस्थान में अपराधियों और असामाजिक तत्वों के बढ़ते दुस्साहस से राज्य की कानून व्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है। अजीतगढ़ की घटना ने दिखाया कि पुलिस प्रशासन किस तरह से सुस्त और कमजोर साबित हो रहा है। अगर समय रहते प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाए, तो ऐसी घटनाएं राजस्थान पुलिस की छवि को और नुकसान पहुंचा सकती हैं।

न्यूज़ डेस्क

"दिनेश लूनिया, एक अनुभवी पत्रकार और 'Luniya Times Media' के संस्थापक है। लूनिया 2013 से पत्रकारिता के उस रास्ते पर चल रहे हैं जहाँ सत्य, जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं।

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