भजन के माध्यम से हुआ आध्यात्मिक चिंतन: योगी सत्यपाल वत्स के जीवन से मिली प्रेरणा

पाली। अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा के आध्यात्मिक प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित भजन कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अष्टांग योग विशेषज्ञ सत्यपाल जी वत्स के जीवन से प्रेरित भजन प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में प्रस्तुत भजन “जिस सत्यपाल का सर झुके भगवान् के आगे, सारा जांगिड़ समाज झुकता है इस योगी के आगे” ने उपस्थित जनों में गहरी आध्यात्मिक चेतना और आत्मबल का संदेश दिया।
भजन के बोलों में सत्यपाल जी वत्स के संयम, साधना और अष्टांग योग के प्रति समर्पण का भावनात्मक चित्रण किया गया। यह भजन केवल एक रचना नहीं, बल्कि जीवन में ईश्वर के प्रति श्रद्धा और पुरुषार्थ की प्रेरणा बन गया।

भजन के रचयिता एवं प्रस्तोता घेवरचन्द आर्य, प्रवक्ता (आध्यात्मिक प्रकोष्ठ), ने बताया कि यह रचना हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है जो अपने भीतर के योगी को पहचानना चाहता है।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित श्रद्धालुओं ने भजन को गुनगुनाते हुए यह संकल्प लिया कि वे भी अपने कर्म, संयम और साधना से जीवन में सत्यपाल जी वत्स जैसी आध्यात्मिक ऊँचाई प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।
“जिस सत्यपाल का सर झुके भगवान् के आगे…”
जिस सत्यपाल का सर झुके भगवान् के आगे, सारा जांगिड़ समाज झुकता है इस योगी के आगे।। खुले आकाश में उड़ती पतंगे साथ में डोरी, मगर क्या डर उसे जिसकी प्रभु के हाथ में डोरी। ताकत फीकी पड़ती है उस बलवान के आगे, जिस सत्यपाल का सर झुके भगवान् के आगे। सारा जांगिड़ समाज झुकता है इस योगी के आगे।। बड़ा से बड़ा संकट उनको फिसला सकता नहीं, मुसीबत के दिनों में वे कभी घबरा सकते नहीं। उसको ठहरा पाओगे हर तूफान के आगे, जिस सत्यपाल का सर झुके भगवान् के आगे। सारा जांगिड़ समाज झुकता है इस योगी के आगे।। बसे वह अष्टांग योग प्रेमी बनकर जांगिड़ों के खयालों में, उसी सत्यपाल के नाम की चर्चा महासभा के उजालों में। सूरज भी क्या चमकेगा उसकी शान के आगे, जिस सत्यपाल का सर झुके भगवान् के आगे। सारा जांगिड़ समाज झुकता है इस योगी के आगे।। सारे इम्तिहानों में हमेशा पास होता है, ‘घेवर’ जीवन की राहों में कभी न उदास होता है। मंजिल खुद आ जाती है उस मेहमान के आगे, जिस सत्यपाल का सर झुके भगवान् के आगे। सारा जांगिड़ समाज झुकता है इस योगी के आगे।।
भावार्थ:
इस भजन में अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा के आध्यात्मिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अष्टांग योग विशेषज्ञ सत्यपाल जी वत्स के जीवन, साधना और योग मार्ग के प्रति समर्पण का वर्णन है।
यह भजन श्रद्धा, विनम्रता और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण का संदेश देता है।
पाठक इसे पढ़ें, गुनगुनाएँ और अपने जीवन में आत्मिक उत्थान का प्रेरणा स्रोत बनाएं।
आप भी अपने पुरुषार्थ और साधना से “सत्यपाल” बन सकते हैं।










