मानव सेवा – दिलीप राठोड़ का योगदान

मानव सेवा ही श्रेष्ठ सेवा
दादर निवासी दिलीप कांतिलाल राठोड़ एक ऐसा व्यक्ति है, जिनके परिवार में सेवा की भावना पीढ़ियों से जुड़ी हुई है। कोरोना लॉकडाउन के समय जब उन्होंने लोगों का दुःख देखा, तब उन्होंने मानव सेवा का संकल्प लिया जो आज भी जारी है। दादर कबूतरखाना में हर दिन लगभग 25 गोनी कबूतरों के लिए दाना डाला जाता है। यह सेवा कई परिवारों की मदद से चल रही है।
दिलीप हॉस्पिटल में कैंसर मरीजों और उनके साथ आए लोगों को खाना, सोने के लिए चटाई, ओढ़ने के लिए कंबल और बारिश से बचने के लिए छाता वितरित करते हैं। दिलीप यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। वे स्कूल फीस, किताबें, कॉपी, स्कूल बैग और अन्य आवश्यक सामग्री का किट बनाकर छात्रों को देते हैं। हर साल की तरह इस साल भी कुछ ही दिनों में किट वितरण का कार्यक्रम होगा।

दादर कबूतरखाना पर हर रविवार और गर्मी के मौसम में समय-समय पर ठंडी छाछ का वितरण किया जाता है। हजारों लोग प्यास बुझाते हैं और राहत महसूस करते हैं। दिलीप राठोड़ का जन्म राजस्थान के बाली में हुआ। वे केवल चौथी कक्षा तक पढ़ सके, लेकिन कम उम्र में परिवार की जिम्मेदारी के कारण मुंबई आकर काम शुरू किया। वे मानते हैं कि शिक्षा का महत्व बहुत बड़ा है और इसलिए वे पूरी मेहनत से छात्रों की मदद करते हैं।
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