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अखिल भारतीय जांगिड ब्राह्मण महासभा दिल्ली के वर्तमान पदाधिकारियों की इतिहास व वेद शास्त्रों के विरुद्ध मनमानी कब तक

Ghevarchand Aarya
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Ghevarchand Aarya is a Author in Luniya Times News Media Website.

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अखिल भारतीय जांगिड ब्राह्मण महासभा दिल्ली के मुखपत्र “जांगिड़ ब्राह्मण” मासिक पत्रिका के जनवरी एवं फरवरी 2025 अंक के मुखपृष्ठ पर विश्वकर्मा जी का जो चार हाथ वाला चित्र प्रकाशित किया गया है


वह हमारी महासभा के इतिहास, संविधान और महासभा के संस्थापकों की भावनाओं के साथ सनातन धर्म-संस्कृति के वेद शास्त्रों के विरुद्ध हैं। क्या आप महासभा के वर्तमान प्रधान रामपाल जी, पत्रिका के सम्पादक रामभगत जी, महामंत्री सांवरमल जी और पत्रिका की पीडीएफ ग्रुपों में भेजने का दायित्व वहन कर रहे सी ए अनिल शर्मा आदि कोई भी यह सिद्ध कर सकते हैं कि – पृथ्वी पर जन्म लेने वाले महापुरुष के दादा-दादी, माता-पिता, नाना-नानी, मामा-मामी और पुत्र-पुत्रियां सब और भगवान् श्रीराम एवं योगिराज श्रीकृष्ण भगवान् की तरह एक सिर और दो हाथ वाले हो किन्तु उनके वहां जन्म लेने वाला बालक चार हाथ वाला हो सकता है क्या?

आप महानुभावों को इस तथ्य की ओर गम्भीरतापूर्वक ध्यान देना चाहिए कि क्या मानव योनि में जन्में किसी प्राणी के चार हाथ अथवा एक सिर से अधिक कभी हुए हैं या कभी हो सकते हैं? उपर लिखे महासभा के चारों पदाधिकारीयो को मैं चुनौती देता हूं की ऐसा सिद्ध करके बताओ या कोई ऐसा प्रमाण अथवा उदाहरण बताओ जिसमें दो हाथ वाले माता-पिता की कोई सन्तान चार हाथ वाली उत्पन्न हुई हो। ऐसा सिद्ध करने वाले पदाधिकारी को एक करोड़ की नकद राशि पुरस्कार स्वरूप दूंगा।

अगर आपमें से कोई भी पदाधिकारी यह सिद्ध नहीं कर सकता है तो अपनी भूल स्वीकार कर समाज से क्षमा मांगे, और हमारे पुरखों ने अपनी योग साधना और वेद शास्त्रों में वर्णित विवरणों के आधार पर अनुमान प्रमाण का आश्रय लेकर विश्वकर्मा जी का जो चित्र बनवाया था और जो 117 वर्ष से इसी पत्रिका के मुखपृष्ठ पर निरन्तर प्रकाशित होता आ रहा है, उसे पुनः प्रकाशित करने का संकल्प लेकर प्रायश्चित करें।

जैसे विश्वकर्मा जी के दादा-दादी, माता-पिता, नाना-नानी और सभी पुत्र पुत्रियां केवल एक सिर और दो हाथ वाले ही थे। माता-पिता और नाना-नानी की वंश परम्परा के विरुद्ध विश्वकर्मा जी चार हाथ वाले कैसे हो गये ? क्या सृष्टिक्रम के विरुद्ध ऐसा होना सम्भव है? महासभा के वर्तमान पदाधिकारियों के अनुसार अगर मान भी लो कि विश्वकर्मा जी चार हाथ वाले थे तो उनके पुत्रों के भी चार हाथ होने चाहिए? क्योंकि पिता के अंश से ही पुत्रों की उत्पत्ति होती है अर्थात् जन्म होता है। तो जैसा पिता वैसा पुत्र। जैसा बीज होगा वैसा ही वृक्ष ओर वैसा ही फल लगेगा यही सृष्टिक्रम के अनुसार है।

विश्वकर्मा जी के पुत्रों के भी दो ही हाथ है इसलिए विश्वकर्मा जी के भी दो ही हाथ थे, यही सत्य है। गुरुदेव जयकृष्ण मणिठिया जी की पुस्तकों में विश्वकर्मा जी के चित्रों में दो हाथ हैं। हमारे पूर्वज विश्वकर्माजी हम जैसे दो हाथों वाले महामानव ही थे। अत: चित्रों में विश्वकर्माजी को चार हाथ वाला दिखाकर महासभा के वर्तमान पदाधिकारी विश्वकर्माजी और गुरुदेव जयकृष्ण मणिठिया जी तथा महासभा के सभी पूर्वज प्रधानों का अपमान कर रहे हैं।

बार-बार अनुरोध करने के उपरान्त भी महासभा के वर्तमान पदाधिकारी इस अनैतिक कृत्य को विराम न देकर अपनी हठधर्मिता का परिचय देकर क्या सिद्ध करना चाह रहे हैं ? आखिर आप हमारे पूर्वज पितरों और उनके द्वारा स्थापित विश्वकर्मा जी के चित्र के साथ क्यों छेड़छाड़ कर हैं ? जबकि यह चित्र 117 वर्ष से महासभा की पत्रिका जांगिड ब्राह्मण मासिक के मुखपृष्ठ पर और अन्य साहित्य पर महासभा द्वारा अनवरत प्रकाशित हो रहा है।

कुछ लोग कहते हैं कि विश्वकर्मा जी तो भगवान थे इसलिए उनके चार हाथ थे । उन लोगों से एक प्रश्न है कि क्या आपकी नजर में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और योगीराज श्रीकृष्ण भगवान नहीं है?? यदि है तो उनके चार हाथ क्यों नहीं है? विश्वकर्मा जी तो केवल सुथार जांगिड़ आदि के लोकदेवता बने हुए हैं जबकि श्रीराम और श्री कृष्ण दो हाथ वाले होकर भी 36 कौम और जन जन के हृदय में आराध्य बने बने हुए हैं। महाराजा पराक्रमी रधु के दो हाथ थे, उन्हीं रघुकुल में महाराज अज हुए, उनके पुत्र दशरथ हुए, दशरथ के पुत्र राम हुए, और राम के पुत्र लव कुश हुए। इन सभी के दो ही हाथ थे। यही सत्य है। इसी प्रकार योगीराज श्री कृष्ण के माता-पिता दादा-दादी नाना-नानी और मामा मामी बारे में और शिल्पाचार्य भगवान विश्वकर्मा जी के बारे में भी हम यह अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

विचारणीय है कि

ढेर सारी पुस्तकें पढ़कर हमारे समाज के डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, प्रोफेसर, वैज्ञानिक , प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी, महासभा प्रधान, महामंत्री, मासिक पत्रिका के सम्पादक, वकील सीए आदि बनने के बाद भी अगर मस्तिष्क में सत्य तथा सृष्टि क्रम के विपरीत अन्धविश्वास, सड़े-गले दूषित विचार, अवैज्ञानिक रंग ढंग वैसे ही बने हुए हैं तो यह किताबी ज्ञान आप सबके लिए गधे पर रखी पुस्तकों के बोझ के समान ही है। इतना ज्ञान प्राप्त करने का क्या लाभ? आपका दिमाग अब भी पाखण्ड अन्धविश्वास से भरा है तो आप सभी का यह ज्ञान व्यर्थ ही है और आप अपने साथ साथ समाज को भी दिग्भ्रमित करने का पाप करोगे। आशा है आप अपनी भूल स्वीकार कर इस पाप से बचोगे और समाज को सत्य पथ पर अग्रसर करोगे। धन्यवाद

समाज शुभ चिन्तक
जांगिड़ घेवरचन्द आर्य
पाली, राजस्थान
चलभाष : 95618 51801, 94618 51801

प्रतिलिपि वास्ते सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु –

रामपाल शर्मा प्रधान महासभा, रामभगत सम्पादक जांगिड ब्राह्मण,  सांवरमल महामंत्री महासभा, अनिल शर्मा सी ए वितरक महासभा, दयानन्द शर्मा दक्षिण अफ्रीका, रामफल सिंह आर्य गुड़गांव, देशराज आर्य रेवाड़ी, रोशनलाल जांगिड रेवाड़ी, सत्यप्रकाश रेवाड़ी, सीताराम शर्मा हिसार, शंकरलाल शर्मा जयपुर, मूलचंद शर्मा जयपुर, पुरुषोत्तम गोठवाल जयपुर, कौशल शर्मा जयपुर, नन्दलाल जांगिड जयपुर, मोतीलाल शर्मा जयपुर, वेदप्रकाश शर्मा जयपुर, सेवाराम जांगिड जोधपुर, वीरेन्द्र जांगिड जोधपुर, किशनलाल शर्मा ब्यावर, रामलाल जांगिड, अलवर, मुन्नालाल जांगिड अलवर, रमेशचन्द्र त्रिपाठी बांदीकुई, ब्रह्मप्रकाश शर्मा कोटा, रामलाल जांगिड सवाई माधोपुर, ओ पी आर्य बीकानेर, सुखदेव शर्मा, प्रकाशक वैदिक संसार इन्दौर, महेश शर्मा मन्दसौर, नारायण जांगिड हरदा, चन्द्रप्रकाश शर्मा नीमच, प्रद्युम्न रतावजिया सेंधवा, आनन्दी जांगिड खरगोन, मुनिदेव शर्मा ग्वालियर, रमेशचन्द्र पंवार इन्दौर, केदार बोदलिया इन्दौर, मोहनलाल दायमा नासिक, बृजमोहन शर्मा मुम्बई, बसन्त शर्मा चैनपुर झारखण्ड, मंगतराम शर्मा पटियाला, चन्द्रप्रकाश शर्मा प्रयागराज, रघुवीरसिंह शर्मा शामली, गुरुदत्त शर्मा मुजफ्फरनगर, ओम पी शर्मा दिल्ली, मोहनलाल जांगिड गांधीधाम, गुरुदत्त शर्मा गांधीधाम, घेवरचन्द जांगिड अहमदाबाद, सुमित्रा ओमप्रकाश शर्मा अहमदाबाद, छैल बिहारी शर्मा जयपुर, मोहनलाल सायल सिद्धेश्वर, सतपाल वत्स हरियाणा, वेदप्रकाश शर्मा माधोपुर, हनुमान जांगिड़ पाली, जगदीश प्रसाद शर्मा भोपाल, सुर्य प्रसाद शर्मा रायबरेली।

Khushal Luniya

Meet Khushal Luniya – Young Tech Enthusiast, Graphic Designer & Desk Editor at Luniya Times Khushal Luniya is a Brilliant young mind who has already Mastered HTML and CSS, and is Currently diving deep into JavaScript and Python. His passion for Computer Programming and Creative Design sets him apart. Alongside being a budding Graphic Designer, Khushal is making his mark

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