राजाभीठा पंचायत के करमाटांड़ में वर्षों पुराने जमीन विवाद का हुआ समाधान, विद्यालय निर्माण के लिए सुरक्षित हुई भूमि

टुण्डी, (दीपक पाण्डेय): दक्षिणी टुण्डी प्रखंड के राजाभीठा पंचायत अंतर्गत ग्राम करमाटांड़ में पिछले कई वर्षों से चल रहे जमीन विवाद का आज समाधान कर लिया गया। यह विवादित जमीन सरकारी गैर-आबाद भूमि थी, जिसे लेकर गांव में लंबे समय से मतभेद बना हुआ था। लेकिन आज स्थानीय मुखिया, जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्ध व्यक्तियों और ग्रामीणों की उपस्थिति में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित कर सर्वसम्मति से इस विवाद का निष्पादन कर दिया गया।
बैठक में लिया गया ऐतिहासिक निर्णय
ग्राम करमाटांड़ मौजा नं-144, खाता नं-120 के प्लॉट नं-813 में 1.18 एकड़ और प्लॉट नं-815 में 0.99 एकड़ जमीन है। इसके अलावा कुल 2.17 एकड़ गैर-आबाद सरकारी जमीन है, जिसका प्लॉट नं-813 और 815 है। वर्षों से इन जमीनों को लेकर विवाद चला आ रहा था।
आज की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि उक्त गैर-आबाद जमीन को महाविद्यालय और उच्च शिक्षा के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। इस निर्णय को उपस्थित सभी गणमान्य लोगों और जनप्रतिनिधियों ने ध्वनि मत से पारित कर अपनी सहमति दी और मौके पर हस्ताक्षर भी किए।
आम रास्ता बनाने पर भी बनी सहमति
बैठक में यह भी तय किया गया कि प्लॉट नं-815 में से उत्तर दिशा की ओर नदी किनारे से 40 फीट चौड़ाई में एक आम रास्ता छोड़ा जाएगा, जिससे गांव के लोगों को आवाजाही में किसी प्रकार की असुविधा न हो।
विद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए भूमि सुरक्षित
मौजा करमाटांड़, खाता नं-120, प्लॉट नं-813 एवं 815, कुल 2.17 एकड़ भूमि को विद्यालय एवं उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया, जिससे भविष्य में इस भूमि का उपयोग केवल शैक्षणिक कार्यों में किया जाएगा।
मौके पर उपस्थित रहे ये प्रमुख लोग
आज की इस महत्वपूर्ण बैठक में पंचायत मुखिया अनिता देवी, जिला परिषद सदस्य दिव्या बास्की, पंचायत समिति सदस्य राजेश कुमार सिंह, भाजपा नेता सागर ओझा, समाजसेवी डॉ. अनवर अंसारी, कांग्रेस नेता इलियास अंसारी, झामुमो युवा नेता अजीमुद्दीन उर्फ छोटू अंसारी सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में इस निर्णय का स्वागत किया और भविष्य में गांव के विकास के लिए ऐसे ही सामूहिक निर्णय लेने की प्रतिबद्धता जताई।
ग्रामीणों में दिखी संतुष्टि
वर्षों पुराने इस जमीन विवाद का सामूहिक सहमति से समाधान होने पर ग्रामीणों में खुशी और संतोष का माहौल देखने को मिला। ग्रामीणों ने कहा कि अब इस जमीन पर शिक्षा का दीप जलेगा और आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिलेगा। इस ऐतिहासिक निर्णय के साथ करमाटांड़ गांव में वर्षों पुराना विवाद समाप्त हो गया है और अब यह जमीन शिक्षा के मंदिर के रूप में उपयोग में लाई जाएगी। सभी जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों के सहयोग से यह एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, जिससे क्षेत्र में विकास और शिक्षा का मार्ग प्रशस्त होगा।