News

लाठी संचालन और मुष्ठि प्रहार का सिखाया गुर, बौद्धिक ज्ञान के तहत राष्ट्र भक्ति का कराया सामुहिक भजन गान


Ghevarchand Aarya
Author

Ghevarchand Aarya is a Author in Luniya Times News Media Website.

Call

पाली। आर्य वीर दल के चरित्र निर्माण एवं आत्मरक्षा शिविर के दुसरे दिवस बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। आज रविवार की अपेक्षा 10 बच्चे अधिक आये। आर्य वीर दल संचालन भरत आर्य द्वारा बच्चों को योग, आसन के पश्चात आत्मरक्षार्थ लाठी संचालक के अलग-अलग स्वरूप का अभ्यास करवाया गया।

कराटे के तहत व्यायाम शिक्षक योज्ञाचार्य हनुमान जांगिड़ द्वारा हाथ से विभिन्न मुद्राए बनाकर दुश्मन पर प्रहार करने का अभ्यास करवाया। जिसमें- त्रिदेश मुष्टि-प्रहार ( स्टायल पञ्च) त्रिदेश युगपत् मुष्टि-प्रहार (डबल पञ्च) त्रिगुण मुष्टि-प्रहार (ट्रिपल अटैक) अर्द्ध मुष्टि-प्रहार (हाफ पञ्च दोनों हाथों से) अर्द्ध मुष्टि-प्रहार (एक हाथ से) संयुक्त मुष्टि-प्रहार (डबल बैलेन्स पञ्च दोनों ओर) विलोम पार्श्व मुष्टि-प्रहार (रिवर्स साइड पञ्च) षड्विध मुष्टि-प्रहार (सिक्स स्टायल पञ्च) व्याघ्रपद-प्रहार (टाइगर क्लेप पञ्च) व्याघ्रनख-प्रहार (टाइगर पिन पञ्च) सर्पमुख-प्रहार (स्नेक पञ्च) श्येन-प्रहार (ईगल पञ्च) युगपत् हस्ततल-प्रहार (डबल रिवर्स क्लैप पञ्च) अंगुलि भल्ल-प्रहार (फिंगर चाप) त्रिपद मुष्टि-प्रहार (स्टैपिंग फ्रण्ट बैक पञ्च) आदि ।

योगेन्द्र देवड़ा एवं भंवर गौरी द्वारा जिम्नास्टिक के प्रारम्भिक गुर सिखाए गए।

गुरुजी गणपत भदोरिया ने आर्य वीर दल पाली के इतिहास की जानकारी देते हुए बताया कि आर्य वीर दल पाली की स्थापना कर्मयोगी गुरु स्मृति शेष मदनसिंह आर्य की देन है। जिन्होंने सेना की नोकरी छोड़कर अपना सर्वस्व आर्य वीर दल को अर्पित कर दिया। उनके त्याग तपस्या की बदौलत आज ये संगठन इस मुकाम पर है।

उन्होंने कहा कि आर्य वीर दल रूपी इस संगठन को चलाने के लिए अनुशासन महत्वपूर्ण है। ‘सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतंत्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतन्त्र रहें’, आर्य समाज का यह नियम अनुशासन पालन का ही संकेत कर रहा है। आर्य समाज का मानना है कि व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र बड़ा है। जनहित के कार्यों में निजी स्वार्थ का त्याग करना पड़े तो उसे भी त्यागकर राष्ट्र-कल्याण के रथ को आगे बढ़ाना चाहिए।

उपाध्यक्ष देवेन्द्र मेवाडा ने कहां कि भारत में केवल आर्यसमाज और आर्यवीर-दल ही ऐसा संगठन है जो अज्ञान, अन्याय और अभाव का मुकाबला करने के लिए कृत संकल्प है। जो मनुष्य मात्र का हितैषी है, जिसमें राष्ट्रीयता कूट-कूट कर भरी हुई है। संस्कृति- रक्षा, शक्ति- संञ्चय एवं मानवमात्र की सेवा करना ही इस संगठन आदर्श है। आर्य समाज का खुला संविधान एवं व्यावहारिक जीवनदर्शन है- “सारे संसार को श्रेष्ठ बनाओ” यह ‘राष्ट्र’ निर्माण करने का मूल मंत्र है।

आर्य वीर रीकू पंवार और हनुमान जांगिड़ ने बौद्धिक ज्ञान के तहत सभी शिविरार्थीयो को-

ऋषि ऋण को चुकाना है…..।

आर्य राष्ट्र बनाना है………।

भजन का सामूहिक गान एवं जयघोष करवाया गया। केसरयुक्त खीर वितरण की गई। आज की व्यवस्था में पारस मेवाडा, राकेश सोनी, केलाश आर्य, रीकू पंवार, पदम धोखा, गजेन्द्र गुर्जर सहित कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्यों का सहयोग रहा।

न्यूज़ डेस्क

"दिनेश लूनिया, एक अनुभवी पत्रकार और 'Luniya Times Media' के संस्थापक है। लूनिया 2013 से पत्रकारिता के उस रास्ते पर चल रहे हैं जहाँ सत्य, जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं।

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
01:34