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वक्फ संपत्तियों पर योगी का सख्त रुख: ‘हर इंच जमीन होगी वापस, दुरुपयोग नहीं होगा बर्दाश्त

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में वक्फ संपत्तियों के संबंध में एक विवादास्पद बयान दिया, जिसमें उन्होंने वक्फ बोर्ड को ‘भू-माफिया’ के रूप में संदर्भित किया और सुझाव दिया कि इन संपत्तियों को वापस लेकर गरीबों के लिए घर और अस्पताल बनाए जाने चाहिए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वक्फ संपत्तियों को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि वक्फ बोर्ड की भूमि का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि वक्फ के नाम पर सरकारी या सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों से एक-एक इंच जमीन वापस ली जाएगी। उन्होंने वक्फ बोर्ड को “भू-माफिया” बनने से बचने की हिदायत दी और कहा कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग उनके मूल उद्देश्य के लिए होना चाहिए।

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योगी आदित्यनाथ ( मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश)

योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि जिन संपत्तियों को गैरकानूनी तरीके से वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है, उनकी पूरी जांच की जाएगी, और जरूरत पड़ी तो इन्हें गरीबों के लिए घर, अस्पताल, और अन्य कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाया जाएगा।

इस बयान पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह बयान न केवल भ्रामक है, बल्कि वास्तविकता से भी परे है और उनके संवैधानिक पद की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। मदनी के अनुसार, वक्फ संपत्तियों का उद्देश्य सामाजिक भलाई और कल्याण है, जिनका उपयोग मस्जिदों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और अनाथालयों के निर्माण तथा जरूरतमंदों की सहायता के लिए होता है।


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मौलाना मदनी ने यह भी बताया कि वक्फ बोर्ड की स्थापना 1954 के वक्फ अधिनियम के अंतर्गत की गई है, और अधिकांश राज्य सरकारें वक्फ संपत्तियों की देखरेख और संरक्षण करती हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय कानून ने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत व्यवस्था की है, और मुख्यमंत्री का बयान इस कानूनी ढांचे के खिलाफ प्रतीत होता है।

इसके अतिरिक्त, मौलाना मदनी ने आरोप लगाया कि वक्फ संपत्तियों पर कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं का कब्जा है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने संसद में स्वीकार किया था कि 58,929 वक्फ संपत्तियां अतिक्रमण का शिकार हैं।

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने संसद में स्वीकार किया था कि वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण की समस्या है। उन्होंने यह भी कहा कि कई वक्फ संपत्तियां अवैध कब्जे में हैं, और इस समस्या को सुलझाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उनका बयान इस दिशा में एक प्रयास के रूप में देखा गया, जहां सरकार ने वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण की स्थिति को सुधारने की आवश्यकता जताई।

मौलाना मदनी ने सरकार से आग्रह किया कि वक्फ से संबंधित मामलों में संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का सम्मान किया जाए, प्रत्येक राज्य में वक्फ बोर्डों को और मजबूत किया जाए, और यह सुनिश्चित किया जाए कि वक्फ भूमि का उपयोग उनके मूल कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए ही किया जाए।

समाजवादी पार्टी (सपा) नेता: समाजवादी पार्टी ने भी योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने इसे सांप्रदायिक और विभाजनकारी बताया और आरोप लगाया कि यह बयान वोट बैंक की राजनीति को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। सपा ने इसे संविधान और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया है।

कांग्रेस पार्टी: कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ की निंदा करते हुए इसे “राजनीतिक हथकंडा” करार दिया। पार्टी ने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों को लेकर ग़लत बयानबाजी से केवल समाज में अशांति फैलती है और यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

इस विवाद के बीच, वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग को लेकर विभिन्न पक्षों में बहस जारी है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाती है।

न्यूज़ डेस्क

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