वित्तीय साक्षरता केंद्र द्वारा लिंकेज कैंप का आयोजन

आज वित्तीय साक्षरता केंद्र (CFL) द्वारा एक दिवसीय कैंप का आयोजन बामणीया में किया गया। इस कैंप का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना, वित्तीय योजनाओं की जानकारी देना
वित्तीय साक्षरता एवं सरकारी बीमा योजनाएँ: आत्मनिर्भरता की ओर
आज के बदलते समय में केवल साक्षरता ही नहीं, बल्कि वित्तीय साक्षरता भी एक आवश्यक जीवन कौशल बन गई है। जब व्यक्ति अपने धन का सही प्रबंधन करना सीखता है, बचत और निवेश के महत्त्व को समझता है और आर्थिक सुरक्षा की योजना बनाता है, तभी वह सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भर बनता है। इस दिशा में सरकारी बीमा योजनाएँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
वित्तीय साक्षरता का महत्त्व
वित्तीय साक्षरता का तात्पर्य है—व्यक्ति का अपनी आय, व्यय, बचत, निवेश, कर्ज और बीमा से संबंधित सही निर्णय लेने में सक्षम होना। दुर्भाग्यवश, भारत में बड़ी आबादी अभी भी वित्तीय मामलों में जागरूक नहीं है, जिसका परिणाम है—बेवजह कर्ज, अनियोजित खर्च और भविष्य की आर्थिक सुरक्षा का अभाव।
जब लोग वित्तीय रूप से साक्षर होते हैं, तो वे न केवल अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित कर पाते हैं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय आर्थिक विकास में भी योगदान देते हैं।
सरकारी बीमा योजनाओं की भूमिका
सरकार ने आम जनमानस को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से कई जनकल्याणकारी बीमा योजनाएँ शुरू की हैं:
- 1. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY): यह 18 से 50 वर्ष के नागरिकों को केवल ₹330 सालाना प्रीमियम पर ₹2 लाख का जीवन बीमा कवर देती है।
- 2. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY): ₹12 सालाना में 18 से 70 वर्ष के नागरिकों को दुर्घटना बीमा उपलब्ध कराती है।
- 3. अटल पेंशन योजना (APY): असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को वृद्धावस्था में पेंशन सुनिश्चित करती है।
इन योजनाओं की पहुँच बढ़ाने के लिए बैंकों, डाकघरों और पंचायत स्तर पर लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। ये योजनाएँ आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लिए संबल बन चुकी हैं।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में योगदान
जब एक नागरिक खुद को और अपने परिवार को वित्तीय जोखिमों से सुरक्षित करता है, तो वह किसी भी संकट का सामना आत्मविश्वास से कर सकता है। बीमा योजनाएँ और वित्तीय जागरूकता लोगों को भविष्य के लिए तैयार करती हैं—चाहे वह बीमारी हो, दुर्घटना हो या वृद्धावस्था।
यह आर्थिक आत्मनिर्भरता केवल व्यक्तिगत नहीं होती, बल्कि इसका सकारात्मक प्रभाव समाज और देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ताहै।
वित्तीय साक्षरता और सरकारी बीमा योजनाएँ आम जनता के जीवन में स्थायित्व और सुरक्षा लाने के साथ-साथ “आत्मनिर्भर भारत” की मजबूत नींव रख रही हैं। आवश्यकता है कि हर नागरिक इन योजनाओं की जानकारी प्राप्त करे और इसका लाभ उठाकर अपने भविष्य को सुरक्षित बनाए। जागरूक नागरिक ही आत्मनिर्भर राष्ट्र की पहचान होते हैं।