विद्यालयों में मांसाहार नहीं — यह भारत की आत्मा की पुकार है, कर्नाटक में भी इसी तरह का संघर्ष

- नागपुर
दीपक जैन
डॉ. अनीश जैन, इंटरनेशनल भक्तामर हीलिंग एंड रिसर्च फाउंडेशन ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकारी स्कूलों में अंडा परोसने के खिलाफ लड़ाई लड़ने के बाद अब कर्नाटक में भी इसी तरह का संघर्ष जारी है।
डॉ जैन ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकारी स्कूलों में अंडा परोसने के खिलाफ फाउंडेशन ने विरोध किया था, क्योंकि इससे शुद्ध शाकाहारी परिवारों के बच्चों के संस्कारों पर सीधा आघात होता है। फाउंडेशन ने तर्क दिया कि बच्चे नाबालिग होते हैं और उनके धर्म और आहार का निर्णय माता-पिता और गुरु करते हैं।
जिसका परिणाम यह रहा कि फाउंडेशन को हिन्दू संतों, वैदिक आचार्यों, सामाजिक संगठनों और अनेक विद्वानों के समर्थन के साथ, महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया कि अब स्कूलों में अंडा परोसने के लिए कोई भी धन या अनुदान नहीं दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कर्नाटक में भी फाउंडेशन ने सर्वे और संवाद किया और पाया कि अजीम प्रेमजी फाउंडेशन जैसे संगठन शिक्षा के नाम पर अंडा वितरण का समर्थन कर रहे हैं। फाउंडेशन ने कहा कि यह संघर्ष केवल भोजन का नहीं, बल्कि संस्कृति और आत्मा की रक्षा का है।
फाउंडेशन ने कर्नाटक सरकार से अपील की है कि सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में मिड-डे मील 100% शाकाहारी किया जाए और मांसाहार स्कूल परिसर में निषिद्ध किया जाए। फाउंडेशन ने जनता से भी अपील की है कि वे अपने बच्चों की संस्कृति को बचाने के लिए जागरूक बनें और सरकार और मीडिया को अपनी बात लिखें और बोलें।