हनुमान जी बन्दर नहीं महा मानव थे :विजयराज आर्य

आर्य समाज मंत्री विजयराज आर्य ने आर्य समाज के सप्ताहिक अधिवेशन के बाद हनुमान जयंती पर बोलते हुए कहां की हनुमान जी बन्दर नहीं वेदशास्त्रों के ज्ञाता हमारे महापुरुष थे । जिनकी रामायण काल में सर्वत्र पूछ थी पुस नहीं।
उन्होंने वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा कांड के मंत्र 3/28-32 का उदाहरण देते हुए कहा कि जब भगवान राम की पहली बार ऋष्यमूक पर्वत पर हनुमान जी से भेंट हुई तब दोनों में परस्पर बातचीत के पश्चात भगवान राम ने लक्ष्मण से कहां की-
न अन् ऋग्वेद विनीतस्य न अ यजुर्वेद धारिणः ।
न अ-साम वेद विदुषः शक्यम् एवम् विभाषितुम् ॥
(रामायण 4/3/28)
“ऋग्वेद के अध्ययन से अनभिज्ञ और यजुर्वेद का जिसको बोध नहीं है तथा जिसने सामवेद का अध्ययन नहीं किया है, वह व्यक्ति इस प्रकार परिष्कृत बातें नहीं कर सकता। हे! लक्ष्मण, हनुमान जी ने निश्चय ही सम्पूर्ण व्याकरण और चारों वेदों का स्वाध्याय कर अभ्यास किया है। इसलिए इतने समय तक बोलने पर भी इन्होनें किसी भी अशुद्ध शब्द का उच्चारण नहीं किया है। संस्कार संपन्न, शास्त्रीय पद्धति से उच्चारण की हुई हनुमान की वाणी हृदय को हर्षित कर देती है”।
आर्य समाज प्रचार मंत्री घेवरचन्द आर्य ने बताया कि इससे पूर्व ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना, स्वास्तिक वाचन मंत्रो के बाद विधिवत यज्ञ में आहुतियां प्रदान कर राष्ट्र की खुशहाली, सबके स्वास्थ्य और सुख शांति की मंगलकामना की गई।
भजनोपदेशक ज्ञानाराम आर्य और आर्य वीर रिंकू पंवार ने ईश्वर भक्ति का भजन सुनाया। पश्चात गुरुकुल पौन्धा देहरादून के रजत जयंती कार्यक्रम में जाने की तैयारियां पर चर्चा की गई ।
इस अवसर पर मंत्री विजयराज आर्य, पूर्व प्रधान गजेन्द्र अरोड़ा, वरिष्ठ आर्य समाजी शिवराम प्रजापत, ज्ञानाराम आर्य, पुनम चन्द वैष्णव, सोहनलाल आर्य, घेवरचन्द आर्य, एडवोकेट कुन्दन चौहान, रिकू पंवार, रेखा जांगिड़, जसराज जांगिड़ एवं गरपीत सहित कई जने मौजूद रहे।
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