हमारी सनातन संस्कृति विश्व बंधुत्व के भाव के कारण विश्व वंदनीय: राजाराम

पाली। सनातन धर्म विश्व बंधुत्व के भाव पर विश्वास करता है। हमने कभी भी वैचारिक और व्यवहार की लघुता का प्रदर्शन नहीं किया, संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम का विचार लेकर अखिल विश्व में शांति, सद्भाव व सदाचार की कामना करती है। ये विचार विश्व हिन्दू परिषद राजस्थान क्षैत्र के संगठन मंत्री राजाराम ने आज दुर्गावाहिनी के सात दिवसीय शौर्य प्रशिक्षण वर्ग के चतुर्थ दिवस पर बौद्धिक सत्र में उपस्थित बेटियों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा हमारी सनातन संस्कृति में ईश्वर पर विश्वास करने वाले भी है तो नास्तिक दर्शन भी समाहित है। इसी समावेशी लचीलेपन के कारण सम्पूर्ण विश्व ने इसे प्रसन्नता से स्वीकार कर अपने जीवन में परिवर्तन किया, हमने कभी किसी के कंधे पर तलवार रखकर मत परिवर्तन नहीं करवाया। हमारी सनातन परम्परायें वैज्ञानिक है, हमारे वेद, पुराण, दर्शन, उपनिषद, गीता, रामायण, महाभारत मात्र धार्मिक पुस्तक नहीं सफलता पूर्वक जीवन जीने के ज्ञान का अदभुत कोष है और हमे इस पर गर्व है।
उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण व विस्तार में मातृशक्ति विशेष रूप से बेटियों का योगदान अहम है, बेटीयां ही परिवार और समाज में विविध पर्वों, त्योहारों, कार्यक्रमों के माध्यम से इसकी नींव को सुदृढ़ता प्रदान करती है। और सनातन संस्कारों को आगे की पीढ़ी में हस्तांतरित करती है। विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना का उद्देश्य बताते हुए कहा कि सनातन हिन्दू संस्कृति को एकसूत्र में बांधना, हमारी प्राचीन महानतम परम्पराओं का संरक्षण व विरासत की सुरक्षा करने के लिए ही विश्व हिन्दू परिषद बजरंग एवं दुर्गा वाहिनी की स्थापना की गई है।
बौद्धिक सत्र का शुभारंभ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, व भारत माता के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया पश्चात प्रान्त संयोजिका कुसुम थावानी ने क्षेत्र संगठन मंत्री को दुपट्टा भेंट कर स्वागत किया। वर्ग में उपस्थित शिक्षार्थियों द्वारा विविध शारिरिक व मानसिक विकास के प्रशिक्षण कुशल शिक्षिकाओं के नेतृत्व में लिए जा रहे है, पाली शहर के प्रबुद्ध नागरिक, मातृशक्ति व समाजसेवियों द्वारा नित्य वर्ग दर्शन हेतु आगमन हो रहा है।