भारतवर्ष में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव मंदिरों में अपार भक्तों की भीड़ देखने को मिली। इस विशेष दिन पर, शिव भक्तों का उत्साह और आस्था का सागर साक्षात् रूप में प्रकट हुआ, जहां लोगों ने व्रत, पूजा और जागरण के माध्यम से भोले बाबा की आराधना की। महाशिवरात्रि, जो कि शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है, इस दिन को भारत के कोने-कोने में विशेष रूप से मनाया जाता है। वाराणसी के काशी विश्वनाथ, उज्जैन के महाकालेश्वर, नासिक के त्र्यंबकेश्वर सहित देशभर के प्रमुख शिवालयों में भक्तों का समुद्र उमड़ पड़ा।
रात भर शिव भक्तों की लंबी कतारें मंदिरो में देखने को मिलीं। शिवलिंग पर जलाभिषेक, दूध, दही, घी, शहद और पवित्र गंगाजल से अभिषेक किया गया। फूल, बेल पत्र, धतूरा, भांग और फलों के साथ भगवान शिव की पूजा अर्चना की गई। इस दिव्य अवसर पर, भोले बाबा के जयकारे से पूरा वातावरण गूंज उठा। “हर हर महादेव”, “ओम नमः शिवाय” के उद्घोष ने सभी को भक्तिमय आनंद से भर दिया। साधु-संतों और अघोरियों का जमावड़ा भी इस पावन पर्व पर विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। वे विभिन्न रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों के साथ भगवान शिव की आराधना में लीन देखे गए।
महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर, भक्तों का अटूट विश्वास और आस्था का प्रदर्शन साक्षात् रूप में देखने को मिला, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा की मजबूती को दर्शाता है। इस भक्तिमय माहौल में, नृत्य और भजन की गूंज भी सुनाई दी। विभिन्न स्थानों पर भजन संध्या और भोले बाबा के कीर्तन का आयोजन किया गया, जहाँ भक्तों ने समूह में एकत्र होकर भगवान शिव के भजनों पर नृत्य किया और उनकी महिमा का गान किया।
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शहरों से लेकर गांवों तक, हर स्थान पर भक्तों ने शिव मंदिरों को फूलों, लाइटों और रंगोली से सजाया। विशेष रूप से, युवा पीढ़ी की भागीदारी ने इस पावन पर्व को और भी अधिक विशेष बना दिया। सोशल मीडिया पर #Mahashivratri के तहत लाखों लोगों ने अपनी पूजा, भजन संध्या, और उत्सव की तस्वीरें और वीडियो साझा किए, जिससे इस पावन दिवस की उल्लासित भावना वैश्विक स्तर पर प्रसारित हुई।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए, कई स्थानों पर भक्तों ने जल संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाई और जलाभिषेक में कम मात्रा में जल का उपयोग करने की पहल की। इसके अलावा, प्लास्टिक मुक्त महाशिवरात्रि मनाने का भी संकल्प लिया गया।