रेलवे का ऐतिहासिक कदम: नई तकनीक से बढ़ी यात्री सुरक्षा, कोहरे और तोड़फोड़ से निपटने की मजबूत व्यवस्था

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने यात्री सुरक्षा को लेकर बीते वर्षों में आमूलचूल तकनीकी बदलाव किए हैं, जिनका सीधा असर रेल दुर्घटनाओं में भारी गिरावट के रूप में देखने को मिला है। रेलवे ने न केवल आधुनिक सुरक्षा तकनीक अपनाई है, बल्कि कोहरे जैसी प्राकृतिक चुनौतियों, ट्रैक से छेड़छाड़ और असामान्य घटनाओं से निपटने के लिए भी मजबूत व्यवस्था खड़ी की है।
रेल मंत्रालय के अनुसार, पहले रेल दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण घना कोहरा भी रहा है। कोहरे की वजह से ड्राइवरों को सिग्नल और ट्रैक देखने में दिक्कत आती थी, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती थी। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने तकनीक के जरिये सुरक्षा तंत्र को पूरी तरह सुदृढ़ किया है।
कोहरे से बचाव में ऐतिहासिक सुधार
रेलवे ने कोहरे से निपटने के लिए विशेष उपकरणों और तकनीकों का बड़े पैमाने पर विस्तार किया है।
- वर्ष 2014 में कोहरे से बचाव के उपकरणों की संख्या केवल 90 थी
- वर्ष 2025 तक यह संख्या बढ़कर 25,939 हो गई
यानी कोहरे से बचाव के उपकरणों में 288 गुना की अभूतपूर्व वृद्धि की गई है। इससे सर्दियों के मौसम में भी ट्रेन संचालन पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हो गया है।
आधुनिक तकनीक का व्यापक उपयोग
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए पिछले चार महीनों में:
- 21-21 स्टेशनों पर केंद्रीकृत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम
- और ट्रैक-सर्किटिंग का कार्य पूरा किया गया है
इन प्रणालियों से ट्रेन संचालन अधिक सुरक्षित, नियंत्रित और व्यवस्थित हुआ है। इसके साथ ही आधुनिक सिग्नलिंग और ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (जैसे कवच) से मानवीय भूल की संभावना भी काफी कम हुई है।
तोड़फोड़ और असामान्य घटनाओं पर सख्त निगरानी
रेलवे ने सुरक्षा के मोर्चे पर तोड़फोड़ और संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी शुरू की है।
- किसी भी असामान्य घटना की गहन जांच की जाती है।
- तकनीकी कारणों के साथ अन्य संदेह होने पर राज्य पुलिस की मदद ली जाती है।
- कुछ मामलों में सीबीआई और एनआईए का मार्गदर्शन भी लिया जाता है।
हालांकि प्राथमिक जांच की जिम्मेदारी राज्य पुलिस और जीआरपी की ही होती है। वर्ष 2023 और 2024 में रेलवे ट्रैक से छेड़छाड़ या तोड़फोड़ की सभी घटनाओं में संबंधित एजेंसियों ने अपराध दर्ज कर सख्त कार्रवाई की है।
पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय
रेलवे ने सुरक्षा को मजबूत करने के लिए:
- राज्य पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ाया है।
- संवेदनशील इलाकों में रेल कर्मी, आरपीएफ, जीआरपी और सिविल पुलिस की संयुक्त गश्त शुरू की गई है।
- स्थानीय लोगों को सतर्क करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जो आगे भी जारी रहेंगे।
इस समन्वित व्यवस्था से रेलवे नेटवर्क पर सुरक्षा का स्तर काफी बेहतर हुआ है।
दुर्घटनाओं में ऐतिहासिक गिरावट
रेलवे द्वारा अपनाई गई उन्नत तकनीक, बेहतर निगरानी और बढ़े सुरक्षा निवेश का असर साफ नजर आता है:
- 2004-14 के दौरान कुल 1,711 दुर्घटनाएं हुईं (औसतन 171 प्रति वर्ष)
- जबकि 2025-26 में अब तक सिर्फ 11 दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि रेलवे की नई सुरक्षा नीति और तकनीकी सुधार जमीनी स्तर पर प्रभावी साबित हो रहे हैं।
भारतीय रेलवे ने कोहरे, तकनीकी खामियों और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए जो कदम उठाए हैं, वे केवल सुधार नहीं बल्कि रेल सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव हैं।
आधुनिक तकनीक, पुलिस-खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय और मजबूत निगरानी व्यवस्था के कारण आज रेलवे पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बन चुका है। सुरक्षित रेल यात्रा अब सिर्फ लक्ष्य नहीं, बल्कि हकीकत बनती जा रही है।












