भारतीय सिन्धु सभा के मातृशक्ति सम्मेलन का उद्घाटन
Inauguration of Mother Power Conference of Bharatiya Sindhu Sabha
- भीलवाड़ा, पेसवानी
भारतीय सिन्धु सभा की ओर से पहला राज्य स्तरीय मातृशक्ति सम्मेलन का उद्घाटन महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन के सानिध्य मे हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन ने बताया कि सिंधी कोई जाति विशेष ना होकर के सनातन परंपरा का ही एक अभिन्न अंग है और वर्तमान में जो भिन्न-भिन्न पंथों और कथावाचकों के प्रभाव में आकर विघटित हो रहा है, जो कहीं भी समाज के लिए शुभ संकेत नहीं है। हमारे पूर्वजों की परंपराएं सदैव ही सनातनी रही है और इन्ही परंपराओं और विचारधाराओं का पालन करने से समाज का विकास संभव है। प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल वाधवाणी के अनुसार हम स्वयं को आधुनिक बताने के लिए पश्चिम का अंधानुकरण कर रहे हैं ,जो कहीं भी उचित नहीं है।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में भीलवाड़ा जिले की गुरूयाणी- मुख्याणी-नियाणी के साथ ही राजस्थान के विभिन्न जिलों के 379 संभागियों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों बिलासपुर से राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला विनीता भावनानी, और वंदना वजीरानी, ग्वालियर से लेह लद्दाख सिंधु गौरव यात्रा प्रभारी राजेश वाधवानी, कोटा से पंडित जयदेव शर्मा ,इंदौर से पंडित सुरेश शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र कुमार तीर्थानी, प्रदेश महामंत्री ईश्वर मोरवाणी साहित्यकार गुलाबराय मीरचंदाणी आदि ने भाग लिया।
इस अवसर पर जयपुर से डॉक्टर दीक्षिता अजवानी की सनातन और सिंधु सभ्यता के आपसी सहसंबंध पर लिखी गई अपनी पुस्तक का भी विमोचन किया गया। सभी वक्ताओं ने सिंधी समाज के रीति रिवाज तथा वर्तमान में उसमें आ रहे बदलाव और कुरीतियों तथा उनके निवारण के संबंध में सार्थक चर्चा करते हुए सभी सभी श्रोताओं के जिज्ञासाओं का भी समाधान किया गया ।कार्यक्रम का संचालन प्रदेशाध्यक्ष (महिला) शोभा बसंताणी और महामंत्री डॉ प्रदीप गेहानी ने किया रात्रि कालीन सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया जिसका संचालन प्रिया ज्ञानानी ने किया।
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भारतीय सिंधु सभा के संभाग प्रभारी वीरुमल पुरूसानी ने बताया कि कल दूसरे दिन के कार्यक्रम में कुटुम्ब प्रबोधन रवि जाजू, भीलवाडा से प्राचार्या सुनीता नानकाणी व सेविका समिति की पल्लवी वच्छाणी ,पाली से कोकिला नारवानी तथा सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत राम छाबड़ा अपने विचार रखेगें। तथा समापन सत्र में इस दो दिवसीय चर्चा के सारांश का प्रकाशन भी किया जाएगा।
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