कला संसार के मुर्धन्य कलाकार थे मुनि हर्ष – मुनि सुरेश कुमार
तेरापंथ धर्मसंघ के सर्व दीक्षा ज्येष्ठ मुनि हर्षलाल की स्मरणांजली सभा
- उदयपुर
तेरापंथ धर्मसंघ के सर्व दीक्षा ज्येष्ठ मुनि हर्षलाल के दो दिन पूर्व प्रातः पाँच बजे प्रयाण होने पर शासन श्री मुनि सुरेश कुमार के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्वावधान में डायमंड कॉम्पलेक्स स्थित सुख विला में स्मरणांजली सभा का आयोजन किया गया।
स्मरणांजली सभा को सम्बोधित करते हुए ध्यान साधक मुनि सुरेश कुमार ने कहा- मुनि हर्षलाल का जन्म मेदपाट की भुमि मेवाड़ के लाछुड़ा गाँव में हुई, उन्हें आचार्य तुलसी के कर कमलों से सरदार शहर में दीक्षीत होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनकी विशेषताओ से प्रभावित होकर आचार्य महाश्रमण ने उन्हे “शासन श्री ” अलंकरण से अलंकृत किया । तेरापंथ धर्मसंघ के वे कला संसार के मुर्धन्य कलाकार थे, जिन्होने 18 इंच के पेज पर सम्पूर्ण भागवत गीता, भक्तामर व दश्वकालिक, सिंदुर प्रकरण जैसे ग्रंथ लिख दिए । वे सदेह हमारे बीच नहीं है मगर उनके सान्निध्य में बीते अण स्मृतियां बनकर सदा साथ रहेगी।
मुनि सम्बोध कुमार ‘मेधांश’ ने कहा- मेरा यह सौभाग्य रहा कि मुनि हर्षलाल की आत्म कथा “मेरा जीवन प्रवाह ” का सम्पादन कराने का अवसर मुझे मिला, जीवन के आठ दशक में उन्होने सहजता और सरलता का निष्काम जीवन जीया। संतता शब्द उनके अमल-धवल चारित्र से परिभाषित होती है। मुनि सिद्धप्रज्ञ ने कार्यक्रम का संयोजन करते हुए कहा- मुनि हर्षलाल यथा नाम तथा गुण सम्पन्न मुनि थे । वे शांत, सरल, सहज, स्वावलंबी, प्रमोद भावना के भावो से भावित थे। वे जहा भी पधारते अपनी व्यवहार कुशलता का प्रभाव छोड़ा कार्यक्रम में तेरापंथ समाध्यक्ष कमल नाहटा, महासभा सदस्य लक्ष्मण सिंह कर्णावट, महिला मंडल अध्यक्षा सीमा बाबेल ने भावपूर्ण श्रद्धांजली अर्पित की।
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