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स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन के लिए बायोमेडिकल मशीनों का उचित रखरखाव जरुरी: MD RMSCL

एम्स जोधपुर के प्रोफ़ेसर पंकज भारद्वाज ने हैल्थ सिस्टम के सुदृढ़ीकरण में बीईएमपी की भूमिका पर चर्चा की। जीकेएस हैल्थ सोल के सीईओ राकेश गौतम ने आरएफपी के क्रियान्वयन हेतु प्रशिक्षित मैनपावर तथा मेडिसिटी हैल्थ केयर सर्विसेज के हैड निगम गुप्ता ने उपकरणों के लिए यूजर प्रशिक्षण पर प्रजेंटेशन दिया। ट्रिम्ड सोल्यूशन के एमडी डी. सेल्वा कुमार, मध्यप्रदेश में बीईएमपी कार्यक्रम के एसएनओ डॉ. योगेश कुमार, कर्नाटक के डॉ. अर्चना रॉबिनसन ने भी बायोमेडिकल उपकरणों के रख-रखाव को लेकर प्रस्तुतीकरण दिया।

जयपुर

राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन की प्रबंध निदेशक नेहा गिरि ने कहा कि मरीजों को गुणवत्तापूर्ण जांच एवं उपचार उपलब्ध कराने तथा स्वास्थ्य सेवाओं के सफल संचालन के लिए बायोमेडिकल उपकरणों का उचित रखरखाव आवश्यक है।

  • उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रदेश में बायोमेडिकल उपकरण मरम्मत और रखरखाव कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। चिकित्सा उपकरणों की मरम्मत एवं नियमित रखरखाव से निदान और उपचार परिणामों को बेहतर बनाने में काफी मदद मिलती है।

नेहा गिरि सोमवार को ‘‘बायोमेडिकल इक्विपमेंट मैनेजमेंट प्रोग्राम बूस्ट: एलिवेटिंग हॉस्पिटल सर्विसेज विद् सीमलेस रिपेयर एण्ड मेंटीनेंस एक्सीलेंस’’ विषय पर आयोजित नेशनल सिम्पोजियम को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी में सभी हितधारकों के साथ परामर्श कर बायोमेडिकल उपकरणों के प्रबंधन से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज़ तैयार किया जाएगा। हमारा प्रयास है कि बायोमेडिकल उपकरणों के क्षेत्र में रिसर्च एवं प्रबंधन की गुणवत्ता में सुधार हो, उपकरणों का डाउनटाइम कम हो तथा स्वास्थ्य सेवाओं की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि बायोमेडिकल इक्विपमेंट मैनेजमेंट से उपकरणों की परिचालन दक्षता बढ़ने के साथ ही लागत कम करने में भी मदद मिलती है।

स्वास्थ्य

ई-उपकरण से 1 लाख 44 हजार से अधिक शिकायतों का सफलतापूर्वक निस्तारण

प्रबंध निदेशक ने बताया कि आरएमएससीएल दवाओं, सर्जिकल एवं सूचर्स तथा जांच उपकरणों की खरीद में अग्रणी रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रैंकिंग में आरएमएससीएल अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा कि बीईएमपी कार्यक्रम के तहत पिछले महीने तक कुल 1 लाख 43 हजार 631 उपकरणों को ई-उपकरण सॉफ्टवेयर में मैप किया गया है। इस कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से पंजीकृत ऑनलाइन शिकायतों 1 लाख 44 हजार 465 में से 1 लाख 44 हजार 234 का सफलतापूर्वक समाधान किया गया है।

अतिरिक्त मिशन निदेशक एनएचएम अरूण गर्ग ने कहा कि बायोमेडिकल इक्विपमेंट मैनेजमेंट लागू करने से उपकरणों की मेंटीनेंस लागत में कमी आती है और महंगे बायोमेडिकल उपकरणों के उपयोग की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। इससे उपकरणों को बार-बार बदलने की आवश्यकता भी कम हो जाती है।

आरएमएससी की कार्यकारी निदेशक (लॉजिस्टिक) डॉ. कल्पना व्यास ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में अवगत कराया। आरयूएचएस के प्रतिनिधि श्री जितेन्द्र आहूजा ने अस्पतालों के परिप्रेक्ष्य में बीईएमपी पर जानकारी दी। इन्वेंट्री मैनेजमेंट के एसएनओ डॉ. प्रेमसिंह ने राजस्थान उपकरण प्रबंध कार्यक्रम की प्रमुख चुनौतियों के बारे में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।

एम्स जोधपुर के प्रोफ़ेसर पंकज भारद्वाज ने हैल्थ सिस्टम के सुदृढ़ीकरण में बीईएमपी की भूमिका पर चर्चा की। जीकेएस हैल्थ सोल के सीईओ राकेश गौतम ने आरएफपी के क्रियान्वयन हेतु प्रशिक्षित मैनपावर तथा मेडिसिटी हैल्थ केयर सर्विसेज के हैड निगम गुप्ता ने उपकरणों के लिए यूजर प्रशिक्षण पर प्रजेंटेशन दिया। ट्रिम्ड सोल्यूशन के एमडी डी. सेल्वा कुमार, मध्यप्रदेश में बीईएमपी कार्यक्रम के एसएनओ डॉ. योगेश कुमार, कर्नाटक के डॉ. अर्चना रॉबिनसन ने भी बायोमेडिकल उपकरणों के रख-रखाव को लेकर प्रस्तुतीकरण दिया।


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चिकित्सा विभाग का नवाचार


अब मौसमी बीमारियों की मॉनिटरिंग ओडीके एप से होगी

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने एक महत्वपूर्ण नवाचार किया है। इस नवाचार के तहत अब मौसमी बीमारियों की मॉनिटरिंग विभाग द्वारा ओडीके एप से की जाएगी। इस नवाचार से प्रदेशभर में मौसमी बीमारियों की स्थिति की रियल टाइम मॉनिटरिंग हो सकेगी और बचाव एवं रोकथाम के लिए त्वरित रूप से कारगर कदम उठाए जा सकेंगे। ओडीके एप का मुख्य उद्देश्य हाउस इण्डेक्स, ब्रटू इण्डेक्स एवं कंटेनर इण्डेक्स को कम कर मलेरिया, डेंगू एवं चिकनगुनिया के केसों में कमी लाना है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि प्रदेश में मच्छरजनित मौसमी बीमारियों की मॉनिटरिंग हेतु एक नवाचार किया गया है। उन्होंने बताया कि मच्छरजनित बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया की तीव्रता प्रायः वर्षा ऋतु के प्रारम्भ जुलाई-अगस्त से लेकर अक्टूबर-नवम्बर तक रहती है। विगत वर्षों में लाइफ स्टाइल एवं मौसम परिवर्तन के चलते मौसमी बीमारियों का प्रसार बढ़ने लगा है। भारत सरकार ने इस वर्ष डेंगू रोग के अधिक प्रसार की आशंका व्यक्त की है। इसे देखते हुए विभाग सभी आवश्यक उपाय सुनिश्चित कर रहा है।

श्रीमती सिंह ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी मौसमी बीमारियों से बचाव व नियंत्रण हेतु विभिन्न विभागीय एवं अन्तर्विभागीय गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। मौसमी बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण की दृष्टि से चिकित्सा विभाग ने तकनीक के उपयोग पर जोर दिया है। विभाग ओडीके ऐप द्वारा मच्छरजनित बीमारियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग करेगा। एप के माध्यम से मच्छर के प्रजनन स्थलों तथा लार्वा पाये जाने वाले स्थानों की फोटो लेकर स्वायत्त शासन विभाग या पंचायती राज विभाग को भेजा जाएगा। फोटो मिलने के बाद संबंधित विभाग उन स्थानों पर एंटी लार्वा एवं मच्छर रोधी गतिविधियां कर आमजन को बीमारियों से बचाएंगे।

सभी स्तर के अधिकारियों द्वारा किया जा सकेगा एप का उपयोग

फील्ड में भ्रमण दौरान मच्छर के प्रजनन स्थानों की पहचान कर फोटो लेने का कार्य विभिन्न स्तर के अधिकारियों-कार्मिकों द्वारा किया जा सकेगा।

स्वास्थ्य विभाग के एएनएम,आशा, सीएचओ, एमपीडब्ल्यू, डीबीसी वर्कर, ब्लॉक स्तर से बीपीएम, ब्लॉक सुपरवाइजर, बीसीएमओ, जिला स्तर से एन्टोमोलोजिस्ट, वीबीडी कन्सलटेन्ट, एपिडेमियोलोजिस्ट, उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जोन एवं राज्य स्तरीय अधिकारी फोटो लेकर संबंधित विभाग को भेज सकेंगे।

मच्छर प्रजनन के सम्भावित स्थान

सड़क पर पड़ा हुआ कचरा, नाली में सफाई के अभाव में रूका हुआ पानी, गड्ढों में भरा पानी, खाली प्लॉट में कचरा/पानी, बड़े जल स्रोतों (तालाब, पोखर/बावड़ी) में कचरा, घर के बाहर पानी के अन्य स्त्रोत टंकी आदि।


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