गच्छाधिपति हितेशचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. का चातुर्मास इस वर्ष मुंबई में — 4 जुलाई को होगा भव्य मंगल प्रवेश

मुंबई, महाराष्ट्र। मोहनखेड़ा तीर्थ के विकास प्रेरक, परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. के पट्टधर एवं वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य श्री हितेशचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. का इस वर्ष का चातुर्मास मुंबई महानगर में आयोजित होने जा रहा है। यह चातुर्मास श्री नमिनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर, कामाठीपुरा, गली नंबर 8, मुंबई के तत्वावधान में आयोजित किया जाएगा।
4 जुलाई को होगा चातुर्मास मंगल प्रवेश
गुरुदेव का भव्य चातुर्मास प्रवेशोत्सव शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 को होगा। इस पावन अवसर पर गच्छाधिपति श्री के साथ मुनिराज श्री दिव्यचंद्र विजयजी म.सा., मुनिराज श्री वैराग्ययश विजयजी म.सा. समेत आदि ठाणा 3 के पावन चरण मुंबई में पदार्पण करेंगे।
यह चातुर्मास विशेष रूप से ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि गच्छाधिपति बनने के बाद यह आचार्य श्री हितेशचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. का महाराष्ट्र प्रांत में पहला चातुर्मास होगा। इसी कारण से श्री संघ एवं समस्त गुरुभक्तों में गहरा उत्साह व्याप्त है और इसे धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से ऐतिहासिक बनाने के लिए विशेष तैयारियाँ की जा रही हैं।
चातुर्मास की तैयारियाँ जोरों पर
मुंबई श्री संघ द्वारा चातुर्मास को सफल एवं भव्य बनाने हेतु हर स्तर पर तैयारियाँ की जा रही हैं। मंदिर परिसर को सजाने, धर्मसभा, प्रवचन, उपासना, तपश्चर्या, स्वाध्याय, आराधना आदि कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जा रही है। संघ ने समस्त गुरुभक्तों से अनुरोध किया है कि वे इस चातुर्मास में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित होकर गुरुभक्ति का परिचय दें।
गुरुभक्तों से विशेष निवेदन
मुंबई श्री संघ ने सभी श्रद्धालुजनों से निवेदन किया है कि वे चातुर्मास मंगल प्रवेश के लिए अधिक से अधिक संख्या में पधारें एवं अपने आगमन की पूर्व सूचना 25 जून 2025 तक निम्नलिखित संपर्क सूत्रों पर अनिवार्य रूप से दें, जिससे व्यवस्था सुचारु रूप से की जा सके:
- जोईत जैन: 88888 85136
- जुगराज जैन: 94280 69999
- नरपत जैन: 93728 46554
- हीरालाल जैन: 77000 47799
चातुर्मास स्थल का विवरण
- स्थान: श्री नमिनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर
- पता: गली नं. 8, कामाठीपुरा, मुंबई, महाराष्ट्र
इस चातुर्मास के अवसर पर मुंबई नगरी पुण्यप्रभाव से आलोकित होगी और श्रद्धालुजनों को आत्मकल्याण का दुर्लभ अवसर प्राप्त होगा। गच्छाधिपति श्री के सान्निध्य में धर्मसाधना, तपश्चर्या, ज्ञानवृद्धि तथा चारित्रशुद्धि जैसे अनेक लाभ प्राप्त होंगे। श्री संघ ने सभी जैन श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे इस दुर्लभ अवसर का अधिक से अधिक लाभ लें।