करमाटांड की वर्षों से विवादित भूमि का मापी कार्य जनप्रतिनिधियों और प्रबुद्ध लोगों की उपस्थिति में संपन्न, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

टुंडी (दीपक पांडेय) — दक्षिणी टुंडी प्रखंड अंतर्गत करमाटांड की वह भूमि, जो पिछले कई वर्षों से विवादों और चर्चाओं का केंद्र बनी हुई थी, आखिरकार सोमवार को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया से गुजरी। जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्ध नागरिकों और स्थानीय ग्रामीणों की उपस्थिति में विवादित जमीन का मापी कार्य शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया।
बताया जाता है कि करमाटांड मौजा की यह भूमि वर्षों से विवाद और अनिश्चितता की स्थिति में थी। जमीन को लेकर कई बार आपसी मतभेद, कहासुनी और विवाद की स्थिति उत्पन्न होती रही थी, जिससे ग्रामीणों के बीच भय और आशंका का माहौल बना हुआ था। लेकिन सोमवार को हुई अंतिम मापी प्रक्रिया के बाद लोगों ने राहत की सांस ली और क्षेत्र में शांति का माहौल देखा गया।
मापी में शामिल रही महत्वपूर्ण भूमि
मौजा करमाटांड अंतर्गत मौजा संख्या 144, खाता संख्या 120 में स्थित प्लॉट संख्या 813 और प्लॉट संख्या 815 की मापी की गई।
- प्लॉट संख्या 813 में कुल रकबा 18 डिसमिल है।
- प्लॉट संख्या 815 में कुल रकबा 1.99 एकड़ है।
- कुल मिलाकर करीब 2.17 एकड़ भूमि का मापी कार्य पूर्ण किया गया।
यह भूमि झारखंड सरकार की गैर आबाद (अकृषि) भूमि के रूप में दर्ज है। वर्षों से चली आ रही अनिश्चितता के बाद जब आज मापी कार्य शुरू हुआ, तो बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर उपस्थित हुए।
शांति पूर्ण माहौल में संपन्न हुआ मापी कार्य
मापी कार्य के दौरान क्षेत्र के गणमान्य लोग और जनप्रतिनिधि भी मौके पर मौजूद रहे। सभी ने आपसी सहमति और एकजुटता के साथ मापी कार्य को संपन्न कराया। इस दौरान क्षेत्र के कई बुजुर्गों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और पुराने विवाद के समाधान की दिशा में इसे बड़ा कदम बताया।
मौके पर उपस्थित प्रमुख जनप्रतिनिधि और ग्रामीण
इस ऐतिहासिक मापी कार्यक्रम में क्षेत्र के कई प्रमुख लोग और प्रतिनिधि शामिल रहे, जिनमें –
पूर्व पंचायत समिति सदस्य भोलानाथ महतो, पूर्व जिला परिषद सदस्य मोतीलाल मुर्मू, रूपलाल महतो, रामचंद्र राणा, उमर अंसारी, जिला परिषद प्रतिनिधि गुरुचरण बास्की, उपमुखिया मंजू देवी, मौला बकद, शहनवाज अंसारी, ताजुद्दीन अंसारी एवं बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण मौजूद रहे।
ग्रामीणों में दिखी खुशी और संतोष
मापी कार्य संपन्न होने के बाद ग्रामीणों ने संतोष और खुशी जाहिर की। लोगों का कहना था कि इस जमीन को लेकर हमेशा अनहोनी की आशंका बनी रहती थी, लेकिन आज की मापी प्रक्रिया के बाद अब स्थिति पूरी तरह साफ हो गई है। अब किसी भी प्रकार के विवाद की गुंजाइश नहीं रही।
ग्रामीणों का कहना था कि मापी के बाद अब प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस भूमि के स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई विवाद न खड़ा हो।
करमाटांड की विवादित भूमि का मापी कार्य वर्षों बाद शांतिपूर्वक संपन्न होना निश्चित ही क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि है। इससे ग्रामीणों में विश्वास बहाल हुआ है और एक लंबे समय से चली आ रही समस्या का समाधान निकला है। अब लोग आश्वस्त हैं कि आने वाले समय में इस भूमि को लेकर कोई विवाद नहीं होगा और क्षेत्र में शांति एवं सौहार्द का वातावरण बना रहेगा।