कैट की टेक्सटाइल एवं गारमेंट कमेटी ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र: ₹10,000 तक के गारमेंट्स पर 5% जीएसटी लागू करने की मांग :

शंकर ठक्कर
मुंबई ललित दवे
ये कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी पहलों को मजबूत करेगा : चंपालाल बोथरा
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कैट की टेक्सटाइल एवं गारमेंट कमेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी को पत्र लिखकर कपड़ा और गारमेंट क्षेत्र में जीएसटी दर में संशोधन करने की अपील की है।
कमेटी ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कैट के लगातार कई वर्षों के प्रयासों और सुझावों के परिणामस्वरूप सरकार ने कपड़ा और गारमेंट क्षेत्र के लिए एक समान कर संरचना (यूनिफॉर्म टैक्स स्ट्रक्चर) लागू की, जिससे उद्योग में स्थिरता और व्यापार को मजबूती मिलेगी। इसे उन्होंने व्यापारी समुदाय की सक्रिय भागीदारी का परिणाम भी बताया।
पत्र में कहा गया है कि कैट ने पहले ही सुझाव दिया था कि ₹10,000 तक के गारमेंट्स पर 5% जीएसटी लागू किया जाए, लेकिन वर्तमान में यह सीमा ₹1000 से बढ़कर सिर्फ ₹2,500 तक की गई है। इससे अधिक मूल्य वाले गारमेंट्स पर 18% जीएसटी लागू है, जो उद्योग, छोटे व्यापारियों और आम उपभोक्ताओं पर बड़ा बोझ बनेगा।
सीएमएआई (क्लॉथिंग मैन्युफैक्चर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया) के मैनेजिंग कमेटी मेंबर भावेश कोटक ने शंकर ठक्कर का संपर्क कर एवं प्रवीण खंडेलवाल के नाम पत्र भेजकर संगठन की ओर से छोटे और मध्यम उपभोक्ता के हित के लिए ₹2500 सीमा बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा आज के महंगाई के दौर में कई बार 1 शर्ट की कीमत ₹ 2500 से अधिक होती है तो शादी ब्याह के वक्त इस्तेमाल किए जाने वाले परंपरागत परिधान या ठंड में इस्तेमाल किए जाने वाले ऊनी कपड़े जोकि देश के आम नागरिक के लिए भी आवश्यक होते हैं के दाम ₹ 2500 से अधिक होते हैं ऐसे में आम नागरिक को 18 % जीएसटी चुकाना पड़ सकता है इसलिए ₹2500 की सीमा बढ़ानी आवश्यक है।
पत्र में प्रधानमंत्री से दो मुख्य अनुरोध किए गए हैं:
•गारमेंट्स पर 5% जीएसटी की सीमा को ₹10,000 तक बढ़ाया जाए।
• अन-स्टिच्ड गारमेंट्स (जैसे लहंगा, गाउन, सूट आदि) को फैब्रिक श्रेणी में शामिल कर 5% जीएसटी लगाया जाए।
कैट की टैक्सटाइल और गारमेंट कमेटी के चेयरमैन चंपालाल बोथरा ने कहा कमेटी ने जोर देकर कहा कि ये कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी पहलों को मजबूत करेंगे, जिससे लाखों महिलाओं को रोजगार मिलेगा और भारत का कपड़ा उद्योग वैश्विक बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा।
कमेटी ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इस मामले में सकारात्मक निर्णय लेकर देश के कपड़ा व्यापार और कारीगरों को राहत प्रदान करें।
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