कैट द्वारा उठाए गए मामले में मिन्त्रा (Myntra) के खिलाफ ईडी ने किया ₹1650 करोड़ की गड़बड़ी का केस

अपनी ही कम्पनी को बेचती थी 100% प्रोडक्ट्स, 25% की ही है परमिशन, ऍफ़डीआई में हेरफेर के मामले में दर्ज हुआ कैस
कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कैट द्वारा उठाए गए मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) 1999 की धारा 16(3) के तहत मिन्त्रा (Myntra) डिजाइंस प्राइवेट लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनियों और निदेशकों के खिलाफ 1654.35 करोड़ रुपए के उल्लंघन की शिकायत दर्ज की है।
ईडी के मुताबिक मिन्त्रा ने ‘मल्टी ब्रांड रिटेल व्यापार’ (MBRT) के कारोबार को ‘थोक व्यापार’ के रूप में दिखाकर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का दुरुपयोग किया है। ED का कहना है कि यह FDI की नीतियों का उल्लंघन है। MBRT के संदर्भ में FDI या तो प्रतिबंधित है या फिर सख्त दिशा निर्देशों के साथ पालन की जानी चाहिए।
ईडी की जाँच में पाया गया कि मिन्त्रा ने अपने ज्यादातर उत्पाद वेक्टर ई-कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड (Vector E-Commerce Pvt. Ltd.) को बेचे पर असल में ये मिन्त्रा की अपनी ही ग्रुप कंपनी है। वेक्टर ने अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों को बेचे। ऐसे में ये रिटेल कोरबार का मामला बनता है, जो मौजूदा FDI नीति के तहत प्रतिबंधित है।
FDI नीति के अनुसार, किसी ग्रुप कंपनी को केवल 25% तक बिक्री की अनुमति है। लेकिन मिन्त्रा ने 100% बिक्री अपनी ही ग्रुप कंपनी को कर दी। ये साफ तौर पर नीति का उल्लंघन है।
ईडी की जांच में यह पाया गया कि मिन्त्रा ने जानबूझकर बिजनेस टू कस्टमर यानी B2C लेन-देन को बिजनेस टू बिजनेस यानी B2B के रूप में दिखाकर घपला किया। यह कागजी हेरफेर इसलिए की गई ताकि FDI नियमों को दरकिनार किया जा सके। अब यह मामला FEMA के तहत Adjudicating Authority (न्यायनिर्णयन प्रधिकारी) के सामने पेश किया जाएगा। इसके बाद आगे की कानूनी कार्रवाई तय होगी।
शंकर ठक्कर ने आगे कहा इस मामले में मिन्त्रा पर जो भी कार्रवाई होगी, वह भारत में ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा एफडी आई नियमों के पालन को लेकर एक बड़ा उदाहरण बन सकता है इसलिए सरकार को किसी भी दबाव में आए बिना भारत के कानून को ताक पर रखने वाली और घपला करने वाली कंपनियों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए