चैत्र मास की नवपद ओली का कार्यक्रम भायंदर पूर्व में उत्साहपूर्वक सम्पन्न

भायंदर पूर्व: आदेश्वर जिनालय मंदिर में चैत्र मास की नवपद ओली का धार्मिक कार्यक्रम परम पूज्य आचार्य भगवंत विजय यशोवर्म सूरीश्वरजी म.सा. के पावन आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन में अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। यह आयोजन मंदिर के संस्थापक श्रीमती शांता बेन मीठालाल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट तथा संयोजिका श्रीमती गीता भरत जैन के सक्रिय सहयोग से आयोजित किया गया। ट्रस्ट द्वारा मंदिर में निरंतर सहयोग एवं धार्मिक आयोजनों का संचालन किया जाता है, जिसकी समाज में सराहना होती रही है।
धार्मिक वातावरण और प्रवचन श्रृंखला:
इस विशेष पर्व के दौरान नौ दिवसीय प्रवचन श्रृंखला का आयोजन किया गया, जिसमें श्रावक-श्राविकाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रतिदिन धार्मिक प्रवचन, पूजा-अर्चना, और जैन धर्म के नवपदों की उपासना की गई। नवपद ओली का यह पर्व भगवान अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, और तप—इन नौ परम पदों की आराधना का प्रतीक है।
भक्तिभाव और तपस्या का वातावरण:
पूरे नौ दिनों तक मंदिर परिसर में भक्तिभाव, अनुशासन और धार्मिक ऊर्जा का विशेष माहौल बना रहा। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उपवास, आयंबिल, और विशेष पूजा कर इस पर्व को आत्मिक शुद्धि का माध्यम बनाया। इस दौरान विशेष प्रार्थनाएं, धार्मिक कथाएँ और साधर्मी वृतांतों का श्रवण हुआ, जिससे धर्म प्रेमियों को नवपद ओली का महत्व गहराई से समझने को मिला।
समर्पित परिवारों का योगदान:
इस पावन आयोजन के लाभार्थी रामेश्वर टावर जैन परिवारों का योगदान उल्लेखनीय रहा। इनमें श्री देवराज समलानी, किशोर कोठारी, सचिन शाह, विरेंद्र सेठिया, गौरव सोनी, दिलीप कछारा, दिलीप समलानी, दिलीप जैन, तपन कोठारी, कमलेश शाह, अमित कोठारी, आशीष शाह, कमलेश सोनीगरा, समीर बोरा, कलरव कोठारी, गौरव हिरावत, विजय सिंह जैन, परेश जैन, सुशीला बेन जैन, रंजन बेन हसमुख शाह, सुधा बेन भरत अजमेरा, मीठालाल जैन, एवं रवयाली तलसेरा प्रमुख हैं। सभी परिवारों द्वारा तपस्वियों का बहुमान कर धार्मिकता का आदर्श प्रस्तुत किया गया।
सहयोग और समर्पण की मिसाल:
कार्यक्रम की सफलता में समिति के सभी सदस्यों का विशेष योगदान रहा। उन्होंने न केवल आयोजन की व्यवस्था को सुचारू रूप से सम्भाला, बल्कि श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर रहकर जैन धर्म की सेवा का भाव भी प्रकट किया। इस शुभ अवसर पर संयोजकों ने सभी आयंबील धारियों को साता (साधर्मी की कुशलता पूछना) कहकर समर्पण और सेवा का भाव प्रकट किया।
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