जैन संतों के साथ राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुरमू जी की भव्य शिष्टाचार भेंट: भारत की आध्यात्मिक विरासत को समर्पित प्रेरणादायक क्षण

- बाबूलाल राठौड़
नई दिल्ली, भारत — आज का दिन भारत की आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक एकता का अद्वितीय प्रतीक बन गया, जब देश की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुरमू जी से जैन समाज के पूज्य संतों ने शिष्टाचार भेंट की। इस प्रेरणादायक अवसर पर बाबूलाल राठौड़ को भी इस भव्य मुलाकात में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
शिष्टाचार भेंट में सम्मिलित हुए जैन संतगण:
इस गरिमामयी भेंट में जैन समाज के कई प्रमुख संत उपस्थित रहे, जिनमें शामिल हैं:
- दिव्य तपस्वी आचार्य हँसरत्नसूरीश्वरजी महाराज साहेब
- युवा प्रवचनकार आचार्य श्री तत्वदर्शनसूरीश्वरजी महाराज
- गणिवर्य मुनिश्री धर्मध्यानविजय महाराज साहेब
- मुनिश्री काश्यपरत्न महाराज साहेब
- मुनिश्री वर्षीदानविजय महाराज साहेब
- मुनिश्री हृदयस्थविजय महाराज साहेब
राष्ट्रपति को भेंट किया गया जैन परंपरा का स्मृति चिह्न
इस सौहार्द्रपूर्ण अवसर पर पूज्य संतों के सान्निध्य में राष्ट्रपति महोदया को जैन परंपरा से जुड़ा एक विशेष स्मृति चिह्न भेंट किया गया। यह स्मृति चिह्न भारत की प्राचीन आध्यात्मिक धरोहर, संयमशील जीवनशैली, और सार्वजनिक समरसता का प्रतीक है।
आध्यात्मिकता और राष्ट्र के नैतिक मूल्यों का संगम
यह भेंट न केवल शिष्टाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रही, बल्कि यह भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत, धार्मिक सहिष्णुता, और नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ करने वाला एक प्रेरणादायक क्षण भी सिद्ध हुआ। राष्ट्रपति महोदया ने जैन समाज के आध्यात्मिक योगदानों की सराहना की और समाज के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस आयोजन का महत्व
भारत की विविध आध्यात्मिक परंपराओं का सम्मान
राष्ट्रपति द्वारा संयम, अहिंसा और नैतिकता के मूल्यों की सराहना
समाज में सद्भाव और नैतिक जागरूकता का संदेश
यह शुभ अवसर राष्ट्र के सामाजिक और आध्यात्मिक भविष्य को नई दिशा देने वाला रहा, जहाँ आध्यात्मिक मार्गदर्शन, नेतृत्व और मूल्यों के प्रति निष्ठा का आदर्श प्रस्तुत हुआ।
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