तप आत्मशुद्धि कर्म निर्जरा का मार्ग – साध्वी मैना कंवर
सरेरी में तपस्याओ का का क्रम जारी
कंवलियास निकटवर्ती सरेरी में चातुर्मास कर रही भारत कोकिला राजस्थान प्रवर्तनी पूजा यश कुंवर जी मारासा की शिष्या मैना कंवर जी मारासा ने धर्मसभा में तप का महत्व बताते हुए इस जीवन का श्रृंगार बताया तप कर्मों की निर्जरा के साथ-साथ आत्मा की शुद्धि का मार्ग है जैन धर्म में तपस्या आत्मशुद्धि कर्म निर्जरा के लिए की जाती है।
तप जीवन में बीमारियों से मुक्त कर देता है तप जीव को आध्यात्मिक उत्थान की ओर ले जाने का एक सरल माध्यम है। संसार में अब तक जितने भी महापुरुष हुए हैं, वे सभी तप करके ही महान बने हैं अभिषेक ने बताया कि चातुर्मास में तपस्याओ के क्रम में अब तक अनिता पानगडिया के 15 शांतिलाल खटोड के 15 संपत खटोड़ के 9 अभिषेक देसरला के 9 सुरेंद्र पानगडिया के 9 निशा कोठारी के 11 सरोज देवी पानगडिया के 10 सपना देसरला के 9 टीना भड्क्तिया के 9 और 60 से अधिक तेले की तपस्या हो चुकी है और प्रतिदिन तपस्या की लड़ी चल रही है इस अवसर पर भीलवाड़ा बीगोद सूरत भिनाय आदि कई संघो से धर्मजन ससंघ दर्शनार्थ हेतु पहुचे
Very interesting subject , thanks for posting.