परशुराम महादेव तीर्थ: सरकारी उपेक्षा का शिकार, प्रशासन की लापरवाही से हर साल श्रद्धालुओं की जान जोखिम में

राजस्थान का अमरनाथ, परशुराम महादेव आज भी सुरक्षा और सुविधा से वंचित
पाली/राजसमंद (राजस्थान) – प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल, जिसे राजस्थान का अमरनाथ कहा जाता है — भगवान परशुराम महादेव तीर्थ — आज भी सरकारी और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। यह तीर्थ स्थल पाली और राजसमंद जिलों की सीमा पर, अरावली की पहाड़ियों में स्थित है। हर वर्ष सावन और भादवा के पवित्र महीनों में यहां लगभग 30 से 35 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

45 लाख की स्वीकृति, फिर भी नहीं बना पुल
8 श्रद्धालुओं की मौत के बाद भी सादड़ी से परशुराम महादेव जाने वाले मार्ग पर स्थित मौत की रपट (फुटब्रिज/चौड़ा नाला) पर अभी तक पुल नहीं बनाया गया है।
“राज्य सरकार ने 8 महीने पूर्व इस पर पुल बनाने के लिए ₹45 लाख स्वीकृत किए थे, लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) ने न तो टेंडर निकाला और न ही वर्क ऑर्डर जारी किया। अब विभाग कह रहा है कि ‘काम बारिश के बाद शुरू करेंगे’,” – यह अधिकारी की लापरवाही नहीं तो और क्या है?
श्रद्धालुओं की सुरक्षा भगवान भरोसे
पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जसराज चोपड़ा द्वारा गठित मेहरानगढ़ जांच आयोग ने भगवान परशुराम महादेव मेले की व्यवस्था का लाइव निरीक्षण कर राज्य सरकार और दोनों जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेजी थी।
“भगवान परशुराम महादेव ही अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। प्रशासन नहीं।” – यह तीखा बयान चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट में दर्ज है।
लेकिन दुख की बात है कि आज तक इस रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं हुई, बल्कि प्रशासन ने उसे डस्टबिन में डाल दिया।
खस्ताहाल सड़क और टूटे रास्ते – हादसों को न्योता
सादड़ी से परशुराम महादेव तक 12 किलोमीटर लंबी सड़क टूटी-फूटी और खतरनाक हालत में है। जगह-जगह गड्ढे, चट्टानें और असंतुलित पगडंडियां हैं।

गुफा से अमरगंगा और कुंड तक की सड़क बिना सुरक्षा दीवार के है, और बरसात के मौसम में यह जानलेवा साबित हो सकती है। भगदड़ की स्थिति में जनहानि की प्रबल आशंका है।
तीन ट्रस्ट भी मौन, जनप्रतिनिधि असहाय
तीर्थ स्थल की देखरेख करने वाले तीन ट्रस्ट – परशुराम महादेव कुंड धाम ट्रस्ट, अमरगंगा ट्रस्ट, और सेवा मंडल ट्रस्ट – ने भी पूरी तरह चुप्पी साध रखी है।
यह तीर्थ बाली और कुंभलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आता है, दोनों ही जगह भाजपा के विधायक हैं। इसके बावजूद डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी कोई ठोस कार्य नहीं हुआ।
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अब सवाल यह है कि :
क्या पाली जिला प्रशासन सावन माह से पहले सड़क और पुल निर्माण करेगा?यदि फिर से कोई श्रद्धालु रपट पार करते समय बह गया, तो क्या प्रशासन जिम्मेदारी लेगा? क्या ट्रस्ट, प्रशासन और जनप्रतिनिधि अब भी मौन रहेंगे?

परशुराम महादेव तीर्थ सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, राजस्थान की आस्था, पहचान और विरासत है। लाखों श्रद्धालु यहां भोलेनाथ के दर्शन को आते हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और ट्रस्टों की चुप्पी के चलते यह तीर्थ एक दुर्घटना संभावित क्षेत्र बनता जा रहा है।
अब वक्त आ गया है कि चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट पर अमल हो, पुल व सड़क का निर्माण तुरंत शुरू किया जाए और श्रद्धालुओं की जान की कीमत को समझा जाए, ना कि उसे नजरअंदाज किया जाए।
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