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राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने जर्मन संसद का किया अवलोकन, भारत-जर्मनी संबंधों को बताया प्रगाढ़

– इंडो-जर्मन फाउंडेशन ने किया भव्य स्वागत, तकनीकी विशेषज्ञों से की चर्चाएं


वासुदेव देवनानी ने जर्मन संसद भवन का दौरा किया


जर्मन संसद में पारदर्शिता का प्रतीक है कांच का गुंबद


बुंडेस्टाग और बुंडेसराट की कार्यशैली का अध्ययन


इंडो-जर्मन फाउंडेशन द्वारा सम्मान और भोज का आयोजन


भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों से तकनीकी प्रगति पर चर्चा


भारत-जर्मनी के बीच गहरे सांस्कृतिक और वैज्ञानिक संबंध


बर्लिन/अजमेर | राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने जर्मनी की राजधानी बर्लिन में स्थित ऐतिहासिक जर्मन संसद भवन (राइखस्टाग) का शैक्षणिक व अध्ययनात्मक दौरा किया। इस दौरे के दौरान उन्होंने जर्मन संसद की द्विसदनीय व्यवस्था – बुंडेस्टाग (लोकसभा) और बुंडेसराट (राज्य सभा) – के कार्यों, इतिहास और कार्यशैली का गहन अध्ययन किया।

जर्मन संसद में पारदर्शिता और जनसेवा का प्रतीक है कांच का गुंबद

श्री देवनानी ने बताया कि जर्मन संसद भवन की विशेषता इसका कांच का गुंबद है, जो लोकतंत्र में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व का प्रतीक माना जाता है। यहां आम नागरिकों को संसद भवन के ऊपरी हिस्से में बने टावर में जाने की अनुमति है, जिससे वे यह अनुभव कर सकें कि सांसद जनता के लिए कार्य करने वाले सेवक हैं।

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उन्होंने संसद भवन के ऐतिहासिक महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भवन ना केवल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है, बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना की प्रेरणास्रोत भी है।

वरिष्ठ अधिकारियों ने दी संसद की कार्यप्रणाली की जानकारी

इस अध्ययन यात्रा के दौरान संसद के वरिष्ठ अधिकारियों ने श्री देवनानी का स्वागत किया और उन्हें संसदीय समितियों की भूमिका, सांसदों की जिम्मेदारियां, और आधुनिक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बुंडेस्टाग की कार्यप्रणाली, संसदीय समितियों के महत्व, और विधायी प्रक्रियाओं का सूक्ष्म निरीक्षण किया।


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इंडो-जर्मन फाउंडेशन द्वारा सम्मान समारोह और तकनीकी संवाद

श्री देवनानी का इंडो-जर्मन फाउंडेशन की ओर से भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर एक सम्मान भोज का आयोजन किया गया, जिसमें जर्मनी में कार्यरत भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया। श्री देवनानी ने भारत के विभिन्न राज्यों से आए विशेषज्ञों से तकनीकी विकास, नवाचार, और भारत-जर्मनी के द्विपक्षीय सहयोग पर गहन चर्चा की।

उन्होंने कहा,

“जर्मनी में बसे भारतीय हमारे देश का गौरव हैं। वे दो महान सभ्यताओं के बीच सेतु का कार्य कर रहे हैं।”

भारत-जर्मनी के संबंध सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और वैज्ञानिक भी हैं

श्री देवनानी ने कहा कि भारत और जर्मनी के संबंध केवल राजनयिक या व्यापारिक नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, और मानवतावादी संबंध भी हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत की स्वतंत्रता के क्रांतिकारी आंदोलन में भी जर्मनी की अप्रत्यक्ष भूमिका रही है, जो ऐतिहासिक रूप से दोनों देशों के आपसी सहयोग को दर्शाता है।


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न्यूज़ डेस्क

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