NewsNational News

विश्व में दो ही परिवार जिन्होंने मातृभूमि के लिए पूरे परिवार को किया कुर्बान: बारहठ परिवार का गौरवपूर्ण बलिदान

जोधपुर। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अनेक वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी, परंतु दो परिवार ऐसे हैं जिन्होंने अपने पूरे परिवार को मातृभूमि की रक्षार्थ समर्पित कर दिया। इनमें एक है गुरु गोविंद सिंह का परिवार और दूसरा है स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर केसरी सिंह बारहठ का परिवार। आज पूरा देश बारहठ परिवार के इस अतुलनीय बलिदान पर गर्व कर रहा है।

कवि, सामाजिक कार्यकर्ता एवं लोक कला मर्मज्ञ देवी सिंह देवल कूपड़ावास ने क्रांतिकारी कुंवर प्रताप सिंह बारहठ की जयंती एवं शहादत दिवस के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि “विश्व में मात्र दो परिवार ऐसे हैं जिन्होंने अपने पूरे कुल की आहुति मातृभूमि की रक्षार्थ दी—गुरु गोविंद सिंह का परिवार और ठाकुर केसरी सिंह बारहठ का परिवार।”

देश की अमूल्य धरोहर है बारहठ परिवार

देवल ने कहा कि यह परिवार न केवल राजस्थान बल्कि समस्त भारत की राष्ट्रीय धरोहर है। स्वतंत्रता संग्राम में इस परिवार का योगदान अविस्मरणीय है। ठाकुर केसरी सिंह बारहठ शाहपुरा रियासत के जागीरदार थे, फिर भी उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया। उनके पुत्र कुंवर प्रताप सिंह बारहठ, भाई जोरावर सिंह बारहठ और बहनोई सभी ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर अपने प्राणों की आहुति दी।

कुंवर प्रताप सिंह बारहठ का प्रेरणादायक बलिदान

कुंवर प्रताप सिंह बारहठ का जन्म 24 मई 1893 को उदयपुर में हुआ था। 24 मई 1918 को बरेली सेंट्रल जेल में उन्हें अंग्रेजों द्वारा दी गई यातनाओं के बाद शहादत प्राप्त हुई। उन्हें अंग्रेजों ने कई बार प्रलोभन दिए—साथियों के नाम बताने के बदले में उनके पिता को काले पानी की सजा माफ करने, और उनकी रोती हुई मां से मिलने की अनुमति देने का वादा किया गया। लेकिन प्रताप सिंह अडिग रहे। उन्होंने कहा, “मैं अपनी माता को हँसाने के लिए हजारों माताओं को रुलाना नहीं चाहता।”

गिरफ्तारी का कारण बना देशभक्ति का विश्वासघात

प्रताप सिंह बारहठ को जोधपुर के पास आशा नाडा रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर की मिलीभगत से अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया। उन पर मुकदमा चलाया गया और अंततः उन्हें बरेली जेल में रखा गया, जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली।

सरकारी पाठ्यक्रम में शामिल हो बारहठ परिवार का योगदान

देवी सिंह देवल ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी एवं शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखकर आग्रह किया कि राजस्थान स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम में बारहठ परिवार के योगदान पर एक संपूर्ण पाठ शामिल किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इस महान परिवार से प्रेरणा ले सकें।

स्थायी स्मारक की मांग

उन्होंने भारत सरकार, राजस्थान सरकार एवं जोधपुर जिला प्रशासन से मांग की कि आशा नाडा रेलवे स्टेशन पर एक भव्य स्मारक का निर्माण कराया जाए, ताकि प्रताप सिंह बारहठ की शहादत की स्मृति सदैव के लिए चिरस्थायी बनी रहे।

समाज ने दी श्रद्धांजलि

चारण समाज सहित अनेक गणमान्य लोगों ने इस अवसर पर कुंवर प्रताप सिंह बारहठ की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदान को नमन किया। यह अवसर राष्ट्रप्रेम, बलिदान और स्वाभिमान की एक जीवंत मिसाल बन गया।

बारहठ परिवार का इतिहास भारत की स्वतंत्रता की उस संघर्षगाथा का हिस्सा है, जिसे आने वाली पीढ़ियों को जानना और अपनाना चाहिए। उनका बलिदान अमर है, और रहेगा।

न्यूज़ डेस्क

"दिनेश लूनिया, एक अनुभवी पत्रकार और 'Luniya Times Media' के संस्थापक है। लूनिया 2013 से पत्रकारिता के उस रास्ते पर चल रहे हैं जहाँ सत्य, जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं।

One Comment

  1. Great post. I was checking constantly this blog and I’m impressed! Extremely useful info specially the last part 🙂 I care for such information much. I was looking for this particular info for a long time. Thank you and best of luck.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
11:28