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सिंधी समाज के जतिनभाई पंजाबी की वैराग्य यात्रा: धर्मसेवा से दीक्षा तक का सफर

वडोदरा, 12 जनवरी 2025

विक्रम बी राठौड़
रिपोर्टर

विक्रम बी राठौड़, रिपोर्टर - बाली / मुंबई 

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सिंधी समाज के युवा और वडोदरा विहार सेवक ग्रुप की शान जतिनभाई पंजाबी ने धर्मसेवा के जरिए एक अनूठी वैराग्य यात्रा का मार्ग प्रशस्त किया। पहले जैन धर्म के प्रति उनकी रुचि प.पू. आचार्य रत्नसुंदरसूरि म.सा. के व्याख्यानों से शुरू हुई, और आज वे दीक्षा की ओर अग्रसर हो गए हैं।

जतिनभाई, जो शुरुआत में केवल धार्मिक प्रवचनों में जाते थे, धीरे-धीरे जैन धर्म की गहराई से प्रभावित हुए। पिछले 7-8 वर्षों में उन्होंने विहार सेवा में बढ़-चढ़कर भाग लिया और धर्मकर्म में निष्ठा से जुड़ गए।

परिवार और समाज की जिम्मेदारियों के बीच धर्म का चयन

श्री अकोटा जैन संघ, वडोदरा में प.पू. श्री मोक्षरति म.सा. के चातुर्मास के दौरान जतिनभाई ने जैन धर्म के प्रति अपनी निष्ठा को और प्रगाढ़ किया। उन्होंने प्रतिक्रमण, स्वाध्याय, और जीवन विचार को आत्मसात किया। मांसाहार और कंदमूल का पूर्ण त्याग करते हुए नित्य चौविहार और पौषध का पालन किया।

अपने पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभालने के बावजूद उनका मन संसार की असारता को समझने लगा। जब उन्होंने दीक्षा लेने का निश्चय किया, तो उनके गुरुदेव ने परिवार और सिंधी समाज के गुरु से अनुमति मांगी। आश्चर्यजनक रूप से, सभी ने उनके इस सच्चे मार्ग पर चलने के निर्णय को सहर्ष स्वीकार किया।

दीक्षा समारोह: 19 जनवरी 2025

जतिनभाई पंजाबी अब 19 जनवरी 2025 को वैराग्य दीक्षा ग्रहण करेंगे। यह एक प्रेरणादायक घटना होगी, जो धर्म और समाजसेवा में उनकी समर्पित यात्रा का प्रतीक है। जतिनभाई का यह निर्णय न केवल सिंधी समाज, बल्कि हर धर्म प्रेमी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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