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देसूरी में सामूहिक विवाह में वाल्मीकि समाज के दस जोड़े बंधे विवाह सूत्र में

देसूरी में सतगुरु मात्रंग शनिधाम संस्था ने किया भव्य आयोजन

वाल्मीकि समाज का देश के विकास में योगदान-राजस्थानी

प्रमोदपाल सिंह मेघवाल
वरिष्ठ पत्रकार

पूर्व जिला परिषद् सदस्य पाली 

 

व्हाट्सप्प

देसूरी, 16 दिसंबर। देसूरी में सतगुरु मात्रंग शनिधाम संस्था गुरूलाल भेग नवल आश्रम के तत्वावधान में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर दाती मदन राजस्थानी ने कहा कि वाल्मीकि समाज के लोग ही देश के असली योद्धा हैं,जो युगों-युगों से धर्म के प्रति समर्पित व निष्ठावान रहे और देश के विकास में अपना योगदान देते रहे।

राजस्थानी ने अपने सम्बोधन में सनातन धर्म,राम व गौ माताकी महिमा बताई और गाय को राज माता का दर्जा देने की मांग की।

रविवार को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रांगण में शनिधाम के महंत लाल महाराज के निर्देशन में आयोजित इस समारोह में वाल्मीकि समाज के 10 जोड़े विवाह बंधन में बंधे।

इस समारोह को विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक श्रीवर्धन ने कहा कि जाति के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है, जबकि वाल्मीकि समाज ने हमेशा से प्रेरणादायक कार्य किए हैं। उन्होंने रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के योगदान का उल्लेख करते हुए समाज को एकजुटता का संदेश दिया।

कार्यक्रम में पूर्व मंत्री अचलाराम मेघवाल,भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष,पूर्व जिला परिषद सदस्य प्रमोदपालसिंह मेघवाल,पूर्व प्रधान सुशीला गौड़, पार्षद राकेश मेवाड़ा, सरपंच केसाराम भील, घाणेराव उपसरपंच दिनेश आदिवाल, शिक्षक नेता अल्लारक खान पठान,वाल्मीकि समाज के चौधरी कालूराम घावरी, उप चौधरी गिरधारी लाल परमार इत्यादि अतिथि के रूप में मौजूद थे।

समारोह में सुबह 6 बजे दूल्हों की बारात देसूरी पहुंची, जहां स्थानीय लोगों और समाज के सदस्यों ने पारंपरिक उत्साह के साथ बारात का स्वागत किया। बारातियों को विवाह स्थल तक ले जाया गया, जहां मंत्रोच्चार के बीच धार्मिक अनुष्ठानों के साथ विवाह की सभी रस्में पूरी की गईं। हथलेवा रस्म के दौरान दुल्हनों को चांदी की गाय भेंट की।

विवाह के दौरान आयोजकों को 
अम्बेडकर परिसंघ के पदाधिकारियों
ने आयोजकों अम्बेडकर का चित्र
भेंट आयोजन की सराहना की।

समारोह की सफलता में महंत लाल महाराज और आश्रम के भक्तगण थानाराम वाघेला, मुकेश,संतोष बिरावट, अशोक घावरी, ईश्वर कंडारा, भरत श्रेंद्र,देवीलाल कंडारा, शंकरलाल वाघेला इत्यादि का विशेष योगदान रहा।

विवाह संपन्न होने के बाद शाम 4 बजे नवविवाहित जोड़ों को उनके परिजनों द्वारा विदाई दी गई। संचालन विक्रम आदिवाल ने किया।

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