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भीलवाड़ा कलेक्ट्री परिसर में बम की धमकी से मचा हड़कंप, बाद में निकली मॉकड्रिल

मूलचंद पेसवानी
जिला संवाददाता

मूलचंद पेसवानी वरिष्ठ पत्रकार, जिला संवाददाता - शाहपुरा / भीलवाड़ा 

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भीलवाड़ा-मूलचन्द पेसवानी।  भीलवाड़ा जिला कलेक्टर कार्यालय में मंगलवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब कार्यालय को एक संदिग्ध ई-मेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली। इस ई-मेल के वायरल होते ही प्रशासनिक महकमे में अफरा-तफरी मच गई और सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को तत्परता से कलेक्ट्रेट परिसर खाली करवाकर बाहर निकाला गया।

बाद में प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह एक मॉकड्रिल (आपातकालीन अभ्यास) का हिस्सा थी, जिसे सुरक्षा उपायों की जांच और आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए आयोजित किया गया था।

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आज सुबह 10.45 बजे जिला कलेक्टर कार्यालय को एक मेल प्राप्त हुआ जिसमें बम से कार्यालय को उड़ाने की धमकी दी गई थी। इस सूचना के मिलते ही जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू और पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने तत्काल हरकत में आते हुए पूरे परिसर को खाली करवाया और बम निरोधक दस्ते को अजमेर से बुलाया गया।

इस बीच पुलिस ने तत्काल कलेक्ट्रेट परिसर के सभी मुख्य द्वार बंद कर दिए और हर आने-जाने वाली गाड़ियों की गहनता से जांच शुरू कर दी। बम निरोधक दस्ता भी मौके पर पहुंचा और पूरे परिसर की सघन तलाशी शुरू कर दी। सुरक्षाबलों के साथ-साथ जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे और स्थिति पर निगरानी बनाए रखी।

हालांकि कुछ ही समय बाद यह स्पष्ट हो गया कि यह धमकी एक मॉकड्रिल का हिस्सा थी। यह अभ्यास इसलिए किया गया था ताकि यह देखा जा सके कि आपात स्थिति में प्रशासनिक तंत्र, पुलिस बल, सुरक्षा एजेंसियाँ और कर्मचारी कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

कलेक्ट्रेट परिसर में काम कर रहे कई कर्मचारी और अधिकारी शुरुआत में इस धमकी से बेहद घबराए हुए नजर आए। परिसर के बाहर जमा भीड़ में भी बेचैनी साफ देखी जा सकती थी। कई लोग एक-दूसरे से मेल की जानकारी पूछते दिखे। लेकिन जब यह जानकारी मिली कि यह सब एक पूर्व नियोजित मॉकड्रिल है, तो सभी ने राहत की सांस ली।

इस मॉकड्रिल में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की तत्परता और सतर्कता देखने को मिली। बम की सूचना के तुरंत बाद बिना किसी देरी के परिसर को खाली कराया गया, लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया गया और सुरक्षा टीमों ने घटनास्थल पर समय रहते पहुंचकर जांच शुरू कर दी।

पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि “हमारी प्राथमिकता नागरिकों की सुरक्षा है। मॉकड्रिल जैसे अभ्यास हमें तैयार रखते हैं कि किसी भी वास्तविक स्थिति में हम बिना घबराए सही निर्णय ले सकें।”

वहीं कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने बताया कि “यह अभ्यास सुरक्षा प्रबंधन के तहत किया गया था। इससे यह सुनिश्चित किया गया कि संकट की घड़ी में हमारी तैयारी कैसी है और क्या सुधार की आवश्यकता है।”

इस तरह की मॉकड्रिल भविष्य में भी समय-समय पर की जाती रहेंगी ताकि प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखा जा सके। हालांकि शुरुआत में अफरा-तफरी जरूर मची, लेकिन अंततः यह एक जरूरी और सफल अभ्यास साबित हुआ।

न्यूज़ डेस्क

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