त्योहारी सीज़न से पहले कच्चे माल की कीमतों को कम करने हेतु अमेरिका से आयात होने वाले कपास से सीमा शुल्क हटाया
*भारत और अमेरिका के बीच विपक्षीय वार्ता के लिए आवश्यक कदम : शंकर ठक्कर*

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया अमेरिका के साथ तनावपूर्ण व्यापारिक रिश्तों को सुधारने के लिए भारत सरकार ने सोमवार देर रात कपास के आयात पर सीमा शुल्क और कृषि उपकर हटा दिया है।
उद्योग जगत के कुछ जानकारों का मानना है कि इस कदम से तनाव कम होगा और आपसी संबंधों में सुधार हो सकते हैं।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के माध्यम से, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कहा है कि 5201 शीर्षक के अंतर्गत आने वाले सभी आयात, जिनमें कच्चा कपास भी शामिल है, 19 अगस्त से 30 सितंबर के बीच शुल्क मुक्त रहेंगे।
इस निर्णय से अमेरिकी निर्यातकों को सीधा लाभ होने की उम्मीद है, जो इस साल की शुरुआत में वाशिंगटन द्वारा भारतीय उत्पादों पर शुल्क बढ़ाए जाने के बाद से भारत के बाजारों में पहुचाने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।
यह घटनाक्रम दोनों पक्षों के बीच महीनों से चल रही बातचीत के बाद सामने आया है, जिसमें भारत ने द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर अपना रुख़ बनाए रखा है।
कपास पर अस्थायी राहत देकर, नई दिल्ली अपनी मूल सीमाओं से समझौता किए बिना लचीलेपन का संकेत दे रही है।
अमेरिकी वार्ताकारों की टीम, जो 25 अगस्त को छठे दौर की वार्ता के लिए नई दिल्ली आने वाली थी, ने अपनी यात्रा रद्द कर दी है और किसी नई तारीख की घोषणा भी नहीं की गई है।
जिसके चलते आगे की द्विपक्षिय वार्ता सवालों के घेरे में है।
इस कदम को भारत की अपनी कपास आपूर्ति ज़रूरतों के संदर्भ में भी देखा जा रहा है। घरेलू बाज़ार में कपास की उपलब्धता कम है, और उद्योग निकाय बार-बार धागे की ऊँची कीमतों और वस्त्र उद्योग में लागत दबाव के जोखिम की ओर इशारा करते रहे हैं।
शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देकर, सरकार का लक्ष्य त्योहारी सीज़न से पहले कच्चे माल की कीमतों को कम करना है, जब कपड़ों की माँग आमतौर पर बढ़ जाती है।
वस्त्र उद्योग परिसंघ लंबे समय से कपास पर आयात शुल्क हटाने की मांग कर रहा था, ताकि घरेलू कपास की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप हो सकें। इसलिए, हम सरकार द्वारा उठाए गए कदम इस कदम का हार्दिक स्वागत करते हैं












