“नो रोड-नो टोल” कच्छ ट्रांसपोर्टर 10 तारीख से हड़ताल पर

- मुम्बई
आयात-निर्यात विशेष कर जीवन आवश्यक वस्तु खाद्य तेल की आपूर्ति हो सकती है बाधित : शंकर ठक्कर
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया कच्छ जहां पर देश के दो महत्वपूर्ण बंदरगाह कांडला और मुंद्रा की और जाने वाली सड़के दयनीय हालत में होने के चलते कच्छ ट्रांसपोर्टर ने 10 तारीख से हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है।
कच्छ में चार स्थानों पर टोल टैक्स लिया जाता है, लेकिन सड़कों की खस्ता हालत के कारण लगातार दुर्घटनाएँ हो रही हैं। गांधीधाम में आयोजित सभी ट्रांसपोर्टर संगठनों की बैठक में संयुक्त निर्णय लिया है।
कच्छ जिले के सभी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने मिलकर बताया कि लंबे समय से खराब सड़कें होने के बावजूद टोल टैक्स वसूला जा रहा है। इसके विरोध में ‘नो रोड-नो टोल’ की लड़ाई चल रही है। इस संबंध में कोई आवश्यक कदम सरकार द्वारा न उठाए जाने के चलते आगामी 10 सितंबर को स्वेच्छा से नो टोल और टोल बंद करने का ऐलान किया गया है।
इस दिन कोई भी भारी वाहन कच्छ में मौजूद मोखा चौकड़ी, सुरजबाड़ी, सामखियाली और मुंद्रा सहित चारों टोल टेक्स पर टोल का भुगतान किए बिना विरोध दर्ज कराएंगे। अगर टोल दिए बिना वाहनों को जाने नहीं दिया जाएगा तो गाड़ियों को वहीं खड़ा कर दिया जाएगा।

गांधीधाम स्थित ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के कार्यालय में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े सभी संगठन और नेताओं की बैठक हुई। इसमें आगामी 10 सितंबर को कच्छभर में सभी प्रकार के भारी वाहनों का संचालन स्वेच्छा से बंद करने का निर्णय लिया गया है।
संगठन के सूत्रों ने बताया कि नेशनल हाइवे अथॉरिटी, कच्छ कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और संबंधित अधिकारियों को कई बार लिखित एवं मौखिक रूप से प्रस्तुतियाँ देने के बावजूद अब तक कच्छ की एक भी सड़क ट्रांसपोर्ट योग्य और मजबूत नहीं बनाई गई है।
इसी कारण गांधीधाम में कच्छ जिले के सभी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की बैठक में यह तय किया गया कि जब तक कच्छ की सभी सड़कें नई नहीं बन जातीं, तब तक आगामी 10/9 से कच्छ के सभी टोल टैक्स पर टोल नहीं चुकाया जाएगा। साथ ही ‘नो रोड-नो टोल’ का आंदोलन जारी रहेगा और उग्र आंदोलन भी किया जाएगा।
*शंकर ठक्कर ने आगे कहा यदि ट्रांसपोर्ट की हड़ताल जारी रहती है तो कांडला और मुद्रा बंदरगाह जहां से पूरे उत्तर भारत एवं मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों को खाद्य तेल की आपूर्ति की जाती है वह बाधित हो सकती है इसका सीधा असर त्योहारी सीजन में खाद्य तेल की कीमतों पर पड़ सकता है इसलिए सरकार को ट्रांसपोर्टर की मांगों पर विचार कर तुरंत निर्णय लेना चाहिए।











