मुंबई
कॉन्फ़डरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया पिछले कुछ वर्षों से किराना दुकानदार अपना व्यापार बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
मॉडर्न ट्रेड, ऑनलाइन व्यापार और विदेशी एवं देसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां की किराना व्यापार में एंट्री एवं पूरा व्यापार अपने कब्जे में लेने के लिए नुकसानिकर दी जा रही लुभावूनी ऑफरों से उपभोक्ताएं अपने आप को रोक नहीं पा रहे हैं। और कोरोना महामारी के वक्त से कई लोगों ने डर के मारे परंपरागत बाजारों से मुंह मोड़ लिया है जिसके चलते कई किराना दुकान बंद हो चुके हैं और कई संघर्ष कर रहे हैं। इनका व्यापार बचाए रखने के लिए और बेरोजगारी ना बढ़े इसलिए सरकार ने अब बड़ा फैसला लेने का मन बनाया है। सरकार की ओर से नियुक्त एक समिति सर्दी-खांसी, एसिडिटी और जुकाम, बुखार की दवाएं किराने की दुकानों पर उपलब्ध कराए जाने पर विचार कर रही है। आमतौर पर सर्दी, जुकाम बुखार जैसी समस्या होने पर लोगों को दवा लेने के लिए मेडिकल स्टोर पर जाना पड़ता है। लेकिन अब आपको सर्दी जुकाम और बुखार की दवाएं आपके आसपास के जनरल स्टोर या किराने दुकान पर मिल जाएंगी। सरकार की ओर से नियुक्त एक समिति सर्दी-खांसी, एसिडिटी और (ओवर दी काउंटर ड्रग पॉलिसी) जुकाम, बुखार की दवाएं किराने की दुकानों पर उपलब्ध कराए जाने पर विचार कर रही है।
ऐसे में अब दवा नीति में बदलाव किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी समिति को भारत की ओवर-द-काउंटर यानी ओटीसी दवा नीति तैयार करने का काम सौंपा गया है। पहले जान लें क्या होती हैं ओटीसी दवाएं? बता दें कि ओटीसी दवाओं में ऐसी दवाएं शामिल होती हैं, जिन्हें डॉक्टर के पर्चे के बिना ही खरीदा जा सकता है। यानी इन दवाओं को डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना बेचने की छूट होती है। अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली सर्दी-जुकाम और बुखार जैसी दवाओं को जनरल स्टोर पर बेचने की अनुमति है। दवाओं की सूची जमा की अब भारत में भी आम लोगों तक दवाईयों की बेहतर पहुंच के लिए इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है । इस नीति से ग्रामीण इलाकों में रहने वालों लोगों को ज्यादा फायदा होगा। कमेटी ने हाल ही में बिना प्रिस्क्रिप्शन के बेची जाने वाली दवाओं की पहली लिस्ट सौंपी है। बता दें कि हाल ही में इस विषय पर चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाई गई थी। हालांकि, अभी तक इसपर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
देश के चिकित्सा क्षेत्र में इस तरह की पहली पहल है। जिसका लक्ष्य बगैर पर्ची के मिलने वाली दवाओं की उपलब्धता को मैनेज करना है। अन्य देशों में इसकी बिक्री और रेगुलेशन के लिए पूरी गाइडलाइन मौजूद है। वहीं भारत में प्रिस्क्रिशन दवाओं के लिए नियम है, लेकिन उन दवाओं के लिए कोई गाइडलाइन या लिस्ट नहीं है, जिन्हें देश में जनरल स्टोर पर बेचा जाना चाहिए। सरकार के किराना दुकान पर ओटीसी दवाई बेचने के विचार का स्वागत करते हुए शंकर ठक्कर ने कहा इससे संघर्ष कर रहे किराना दुकान को थोड़ी राहत मिलेगी और मरीजों को भी छोटी बीमारियों के लिए मेडिकल स्टोर तक जाने की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार को जल्द ही इसकी गाइडलाइन बनाकर अनुमति देनी चाहिए।
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